April 12, 2025

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श्रीकृष्ण के चरणामृत की अद्भुत लीला

कौतूहल भरी बाललीला का गहरा आध्यात्मिक संदेश

Khabari Chiraiya Desk : वृंदावन में श्रीकृष्ण की बाललीलाएँ अपने आप में अनंत रहस्य और आनंद से भरी होती हैं। उनमें से एक अद्वितीय लीला है—श्रीकृष्ण द्वारा अपने पैर के अंगूठे को पीने की। यह घटना सुनने में साधारण लग सकती है, परंतु इसके पीछे गहरी आध्यात्मिकता और दिव्यता छिपी है। वृंदावन के संत शत्रुघ्न प्रभु जी महाराज के अनुसार, यह लीला भगवान श्रीकृष्ण के परम ऐश्वर्य और माधुर्य का परिचायक है।

बाललीला में छिपा गूढ़ रहस्य

श्रीकृष्ण की यह लीला केवल एक बालक के खेल की तरह नहीं, बल्कि अपने आप में जीवन का अद्वितीय सत्य समेटे हुए है। संतों का मानना है कि इस लीला के पीछे श्रीकृष्ण का यह कौतूहल था कि उनके चरणों की महिमा इतनी अलौकिक क्यों है। श्रीकृष्ण सोचते हैं कि उनके चरणों को ब्रह्मा, शिव, ऋषि, मुनि और समस्त देवता इतनी श्रद्धा से क्यों पूजते हैं। ये चरणकमल कैसे अहिल्या जैसी स्त्री को पत्थर से सुंदर नारी बना सकते हैं। गंगा, जो उनके चरणों से उत्पन्न हुई, संसार के पाप धोने में इतनी सक्षम क्यों है।

संतों ने कहा है कि श्रीकृष्ण के चरणकमल न केवल गोपियों और भक्तों के हृदय में बसे रहते हैं, बल्कि शिव के धन के रूप में पूजनीय हैं। उनके चरणस्पर्श से जीवन में आनंद और शुद्धता आती है। यही विचार श्रीकृष्ण को अपने चरणों का परीक्षण करने के लिए प्रेरित करता है।

भक्तों और संतों के लिए प्रेरणा

भक्तों और संतों के हृदय में श्रीकृष्ण के चरणकमलों का विशेष स्थान है। उनके चरणों का स्मरण और ध्यान विपत्तियों को दूर करता है और कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। श्रीकृष्ण अपने पैर के अंगूठे को पीकर यह जानना चाहते हैं कि उनके चरणकमलों का रस अमृत से भी अधिक स्वादिष्ट क्यों है। यह लीला भगवान की अपनी दिव्यता को जानने की जिज्ञासा का प्रतीक है।

श्रीकृष्ण की इस लीला में यह संदेश छिपा है कि ईश्वर के चरणकमलों का स्मरण और सेवा जीवन को पवित्र बनाते हैं। उनके भक्तों के अनुसार, जो भी उनके चरणों की शरण लेता है, उसे दिव्य आनंद और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

लीला का संदेश

श्रीकृष्ण की इस अद्भुत लीला में गहरा आध्यात्मिक संदेश निहित है। यह बताती है कि जो भी भगवान के चरणकमलों का ध्यान करता है, उसे अमृतरस से भी अधिक मधुर और दिव्य सुख की अनुभूति होती है। यह लीला न केवल भक्तों के लिए प्रेरणा है, बल्कि उनके जीवन को आनंद, शांति और मोक्ष की ओर ले जाने का मार्ग भी है। बालकृष्ण के चरणों का यह मधुर अमृत सभी भक्तों के लिए अमूल्य वरदान है।

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