विष्णु भगवान ने पृथ्वी को समुद्र से निकाला, नासा की खोज ने किया धर्म और विज्ञान का संगम
- हिन्दू शास्त्रों की गहराई और नासा की खोज का अद्भुत सामंजस्य
Khabari Chiraiya Desk: आज वृंदावन धाम के शत्रुघ्न प्रभु महाराज ने एक महत्वपूर्ण धार्मिक कथा पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि हिरण्यकश्यप के भाई हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को समुद्र में छिपा दिया था। इसे पुनः स्थापित करने के लिए भगवान विष्णु ने सूकर (वराह) अवतार धारण कर हिरण्याक्ष का वध किया और पृथ्वी को उसके कक्ष में पुनः स्थापित किया।
यह कथा आज के युग में एक दंतकथा के रूप में मानी जाती थी। लोगों का यह मानना था कि यह सिर्फ एक मनगढ़ंत कहानी है, लेकिन नासा की खोज ने इस सोच को चुनौती दी है।
नासा की खोज: ब्रह्मांड का विशालतम जलाशय
नासा के खगोलविदों ने ब्रह्मांड में अब तक का सबसे बड़ा और दूरस्थ जलाशय खोजा है। यह जलाशय पृथ्वी के समुद्र के पानी से 140 खरब गुना अधिक है और पृथ्वी से 12 बिलियन प्रकाश-वर्ष दूर है। इसे हिन्दू शास्त्रों में वर्णित “भवसागर” कहा जा सकता है। इस खोज ने उस धार्मिक कथा को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नया आधार दिया है।
भारत की सभ्यता और विज्ञान की प्राचीनता
जब मैंने यह खबर पढ़ी तो मेरा भ्रम दूर हो गया। भारत की प्राचीन सभ्यता को समझने के लिए इतिहास को खंगालने की जरूरत है। हमारे वेद, पुराण और धार्मिक ग्रंथ यह सिद्ध करते हैं कि ज्ञान-विज्ञान और धर्म का उद्गम भारत में हुआ है।
तुलसीदास जी ने सूर्य की दूरी का उल्लेख तब किया था, जब दुनिया को इसकी कोई जानकारी नहीं थी। आर्यभट्ट ने पृथ्वी के आकार, व्यास और ब्रह्मांडीय संरचना का विवरण दिया। जब यूरोप में पहला स्कूल खुला, भारत में लाखों गुरुकुल शिक्षा का प्रकाश फैला रहे थे।
विदेशी सोच और भारतीय संस्कृति
यह विडंबना है कि कुछ लोग विदेशी वैज्ञानिकों और संस्थाओं को अंतिम सत्य मानते हैं और अपने धर्म और संस्कृति को नकारते हैं। पश्चिमी देशों ने अपने धर्म और भगवान का इतना प्रचार किया कि आज संसार में सबसे अधिक ईसाई हैं। इसके विपरीत, कुछ बुद्धिजीवी भारतीय सभ्यता और धर्म पर सवाल खड़े करते हैं। अगर आपके पूर्वज बंदर थे, तो ईश्वर और धर्म पर तर्क करना स्वाभाविक है।
ईश्वर की शक्ति और विज्ञान का संगम
ब्रह्मांड की विराटता और उसकी संरचना को समझना मानव के वश में नहीं है। दिन-रात का संतुलन, सूर्य का उदय-अस्त होना, जीवन का निर्माण और हर प्राणी का अपनी जरूरत के अनुसार विकसित होना एक निराकार शक्ति का परिचायक है। बिना इस शक्ति के यह सब संभव नहीं।
भारत का धर्म, विज्ञान और सभ्यता अद्वितीय
भारत की प्राचीन सभ्यता और विज्ञान को नासा या अन्य विदेशी संस्थाएँ पूरी तरह समझने में असमर्थ हैं। मानव का सीमित ज्ञान इस ब्रह्मांड की विशालता को माप नहीं सकता। भारतीय संस्कृति और धर्म का सम्मान करना और उसका प्रचार करना आज के युग की जरूरत है।
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