तिरूपति में मची भगदड़ से टूटी श्रद्धा की डोर, 6 की मौत

तिरूपति
आस्था का सफर मातम में बदला, मल्लिका की पहचान, अन्य मृतकों की पहचान जारी, पीएम-सीएम ने जताया शोक
Khabari Khiraiya Desk : सूरज अभी उगा ही था। तिरुमाला की वादियों में श्रद्धा का ज्वार उमड़ रहा था। हर तरफ भक्तों की भीड़ थी। मंदिर के मुख्य द्वार के पास वैकुंठ द्वार दर्शन के टोकन लेने के लिए श्रद्धालु कतारों में खड़े थे। हर किसी के चेहरे पर उम्मीद की झलक थी। लेकिन कोई नहीं जानता था कि यह दिन छह जिंदगियों के लिए आखिरी साबित होगा। कोई तमिलनाडु से आया था, तो कोई कर्नाटक या आंध्र प्रदेश के दूर-दराज इलाकों से।
मल्लिका, तमिलनाडु की एक महिला, अपने परिवार के साथ इस पावन यात्रा पर आई थीं। सफर लंबा था, लेकिन उनकी आंखों में भगवान के दर्शन का सपना ताजा था। जैसे ही टोकन वितरण शुरू हुआ, भीड़ में धक्का-मुक्की बढ़ने लगी। कुछ लोग आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे थे, तो बाकी पीछे से धक्का दे रहे थे। धीरे-धीरे भीड़ ने विकराल रूप ले लिया।
अचानक भगदड़ मच गई। चारों ओर चीख-पुकार और अफरा-तफरी का माहौल बन गया। मल्लिका, जो अपनी बेटी का हाथ थामे खड़ी थीं, भीड़ में फंस गईं। उनकी बेटी उन्हें पुकारती रही, लेकिन चारों तरफ से धक्कों के बीच उनकी आवाज दब गई। मल्लिका जमीन पर गिर पड़ीं। उनके साथ कई और लोग भी गिर गए। कुछ ही मिनटों में सब कुछ बदल गया।
जब तक स्थिति संभाली जाती, छह लोगों की जान जा चुकी थी। मल्लिका उनमें से एक थीं। उनके पति और बेटी की आंखों के सामने उनका जीवन खत्म हो गया। आसपास खड़े लोग अपने प्रियजनों को खोजने में जुटे थे।
घायलों को तुरंत तिरुपति के रूया अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टर घायलों का इलाज कर रहे थे, लेकिन कुछ की हालत नाजुक बनी हुई थी। मल्लिका के अलावा, तीन महिलाएं और एक पुरुष भी इस हादसे में अपनी जान गंवा चुके थे। बाकी मृतकों की पहचान अभी नहीं हो पाई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा, “तिरुपति में हुई भगदड़ से आहत हूं। मेरी प्रार्थनाएं उन परिवारों के साथ हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया।”
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने भी घटना पर दुख जताया। उन्होंने अधिकारियों से व्यवस्थाओं में हुई खामियों पर सख्त सवाल किए।तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के अध्यक्ष बीआर नायडू ने इसे “दुर्भाग्यपूर्ण घटना” बताया। उन्होंने कहा, “हमने पूरी कोशिश की थी, लेकिन भीड़ के दबाव में यह हादसा हो गया।”
मंदिर परिसर में अब भी हजारों श्रद्धालु भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन की प्रतीक्षा में हैं, लेकिन कई के लिए यह आस्था का सफर मातम में बदल गया। उनके दिलों में यह सवाल गूंज रहा है…क्या भगवान के दर पर भी सुरक्षा का भरोसा नहीं? या फिर हर बार इस तरह की त्रासदियां आस्था की कीमत बनती रहेंगी?
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