July 22, 2025

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समस्तीपुर में एल्यूमीनियम फैक्ट्री का बॉयलर फटा, 2 की मौत 3 जख्मी

ब्लॉस्ट के बाद का दृश्य

ब्लॉस्ट के बाद का दृश्य

  • 100 साल पुरानी है फैक्ट्री, बनते थे एल्यूमीनियम के बर्तन, करीब 200 मजदूर हर रोज करते थे कार्य
  • सदर अस्पताल में चल रहा है जख्मी मजदूरों का इलाज, प्रशासन और पुलिस की टीम मौके पर पहुंची, बचाव और राहत कार्य जारी  

ज्योति कुमार सिंह उर्फ बाला जी की रिपोर्ट

बिहार के समस्तीपुर में वैनी थाना क्षेत्र स्थित एल्यूमीनियम फैक्ट्री में एक बड़ा हादसा हो गया। बुधवार दोपहर अचानक बॉयलर ब्लॉस्ट होने की इस घटना में दो मजदूरों की मौत हो जाने की खबर है। इस हादसे में करीब 3 मजदूर गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं, जिन्हें इलाज के लिए सदर अस्पताल ले जाया गया है। एल्यूमीनियम फैक्ट्री में ब्लॉस्ट की खबर पर प्रशासन और पुलिस की टीम मौके पर पहुंच गई है, वहां बचाव और राहत कार्य जारी है।

बताया गया कि यह फैक्ट्री 100 साल पुरानी है, यहां एल्यूमीनियम के बर्तन बनाए जाते थे। यहां करीब 200 मजदूर हर रोज कार्य करते थे। इस हादसे में जान गंवाने वाले दोनों मजदूरों की पहचान कर ली गई है। एक की पहचान मुजफ्फरपुर के चंद्रशेखर राय और दूसरे की पहचान दरभंगा के संजय राय के रूप में की गई है। घायलों में ललित कुमार, ज्योति कुमार राज बल्लव और पवन कुमार का नाम शामिल है।

मौके पर पहुंचे सदर एसडीओ दिलीप कुमार ने बताया कि घटना की पुष्टी करते हुए बताया कि कार्य के दौरान अचानक एल्युमिनियम फैक्ट्री का बॉयलर ब्लास्ट हो गया। इसमें दो मजदूरों की मौत हो गई है। एक का शव निकाल लिया गया है और दूसरे शव मालवे में फंसा है। गंभीर रूप से जख्मी तीन लोगों को इलाज के लिए समस्तीपुर सदर अस्पताल भेजा गया है। एसडीओ ने बताया कि फैक्ट्री मालिक दिलीप कुमार हैं, वह यहां मौजूद नहीं हैं। घटना के बाद फैक्ट्री पर कार्य कर रहे बाकी मजदूर भाग गए हैं। पुलिस इन्हें खोजने की कोशिश कर रही है।

जहां बॉयलर था, वहां करीब 7 से 8 मजदूर काम पर रहते हैं

मौके पर मौजूद राहुल सिंह ने बताया कि ‘एल्यूमीनियम फैक्ट्री में बॉयलर ब्लास्ट होने के बाद धमाका काफी तेज था। हम लोग कुछ ही दूरी पर थे। धमाके की आवाज सुनने के बाद हम लोग घटनास्थल की ओर दौड़े। यहां आकर देखा, तो धमाके के बाद फैक्ट्री की दीवार मलबे में तब्दील हो गई थी। मलबे में मजदूर बेहद गंभीर स्थिति में पड़े थे। उनहें बाहर निकालकर ताजपुर हॉस्पिटल भेजा गया, जहां से उन्हें सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। फिलहाल, जेसीबी से मलबा हटाया जा रहा है। इसके बाद ही कुछ स्पष्ट हो पाएगा।’

राहुल सिंह ने बताया कि यह फैक्ट्री करीब 100 साल पुरानी है, यहां एल्यूमिनियम का बर्तन बनता है। यहां हर रोज करीब 150 से 200 मजदूर काम करते थे, लेकिन जहां बॉयलर रहता है, वहां करीब 7 से 8 मजदूर काम करते हैं। मेरा बेटा भी फैक्ट्री में काम करता है, जो मोबाइल पर बात करने बाहर चला गया था, इससे उसकी जान बच गई।

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