राहुल गांधी की नजर में पहले अच्छे नेता थे केजरीवाल, अब ‘गंदगी में लिपटी दिल्ली’ का आरोप

राहुल गांधी
राजनीति : 8 फरवरी को नतीजे यह तय करेंगे कि दिल्ली का भविष्य किसके हाथों में होगा
कौशलेंद्र, नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव के दौरान एक मंच पर नजर आने वाले राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आमने-सामने हैं। तब राहुल गांधी को दिल्ली स्वर्ग लगती थी और केजरीवाल को “अच्छा और सच्चा नेता” बताया जा रहा था। लेकिन अब सियासी गणित बदली है और राहुल गांधी ने केजरीवाल पर झूठे वादों और गंदगी में लिपटी “पेरिस वाली दिल्ली” का तंज कसना शुरू कर दिया है।
राहुल गांधी ने मंगलवार को दिल्ली दौरे के दौरान गंदगी का वीडियो साझा करते हुए कहा, “यह है केजरीवाल जी की चमकती हुई दिल्ली।” सीलमपुर में कांग्रेस के प्रचार अभियान की शुरुआत करते हुए राहुल ने केजरीवाल को मोदी की तरह बताया और कहा कि दोनों ही अडाणी मुद्दे और जातिगत जनगणना जैसे सवालों पर चुप हैं। राहुल ने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने झूठे सपने दिखाकर जनता को धोखा दिया है।
केजरीवाल का पलटवार : “हीरे से भी कीमती है वोट”
इधर, अरविंद केजरीवाल ने आज भाजपा पर तीखे आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता दिल्ली में वोट खरीदने की कोशिश कर रहे हैं। केजरीवाल ने जनता से अपील की, “ये लोग सोने की चेन बांट रहे हैं, लेकिन आपका वोट हीरे से भी कीमती है। इसे किसी भी कीमत पर बिकने मत देना।” केजरीवाल ने भाजपा को लोकतंत्र का गद्दार बताते हुए कहा कि दिल्ली की जनता उनकी हर साजिश का जवाब देगी।
राजनीति में बदले समीकरण
राहुल और केजरीवाल के बीच यह सियासी जंग सिर्फ चुनावी रणनीति का हिस्सा नहीं, बल्कि बदलते राजनीतिक समीकरणों का नतीजा है। लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के तहत साथ आए ये नेता अब विधानसभा चुनाव के दौरान आमने-सामने हैं। यह बदलाव बताता है कि चुनावी राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता।
चुनाव की तारीखें और रणनीतियां
दिल्ली चुनाव की तारीखें घोषित हो चुकी हैं। 5 फरवरी को मतदान होगा, और 8 फरवरी को नतीजे आएंगे। सभी पार्टियां जनता को साधने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रही हैं। AAP जहां अपने विकास कार्यों का बखान कर रही है, वहीं कांग्रेस भ्रष्टाचार और झूठे वादों को मुद्दा बना रही है। भाजपा अपने मजबूत संगठन और केंद्र की योजनाओं के दम पर मैदान में है।
वादों और सच्चाई के बीच फैसला
दिल्ली की जनता के लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण है। शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, बिजली जैसे बुनियादी मुद्दे अभी भी केंद्र में हैं। जनता अब वादों के बजाय काम पर वोट देने की बात कर रही है। दिल्ली के मतदाता यह भी देख रहे हैं कि सियासी आरोप-प्रत्यारोप के इस दौर में कौन सी पार्टी उनके भविष्य को बेहतर बनाने का ठोस वादा कर रही है।
अंजाम क्या होगा?
दिल्ली की सियासी जंग अपने आखिरी पड़ाव की ओर है। क्या केजरीवाल सरकार अपनी पकड़ बरकरार रख पाएगी? क्या राहुल गांधी की कांग्रेस अपनी खोई जमीन वापस पा सकेगी? या फिर भाजपा कोई चमत्कार कर सकेगी?, वैसे 8 फरवरी को नतीजे यह तय करेंगे कि दिल्ली का भविष्य किसके हाथों में होगा। लेकिन फिलहाल, राजनीतिक बयानबाजी और जनता का रुख इसे देशभर में सबसे दिलचस्प चुनाव बना रहा है।
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