April 19, 2025

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“देश को 2047 तक विकसित बनाने में वैज्ञानिकों की प्रमुख भूमिका”

आरपीसीएयू

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डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय की 18वीं अनुसंधान परिषद की बैठक शुरू

Khabari Chiraiya Bihar Desk : डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (आरपीसीएयू) की 18वीं अनुसंधान परिषद की बैठक गुरुवार से शुरू हुई। अपने उद्घाटन भाषण में कुलपति डॉ. पुण्यव्रत सुविमलेंदु पांडे ने कहा कि अनुसंधान के क्षेत्र में विश्वविद्यालय ने उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है। अनुसंधान प्रकाशनों, पेटेंट और जारी की गई किस्मों की बढ़ती संख्या अनुसंधान की प्रगति को दर्शाता है।

उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि वे‌‌ अपने अनुसंधान को लेकर बार बार क्षेत्र का दौरा करते रहें। देश को 2047 तक विकसित बनाने में वैज्ञानिकों की प्रमुख भूमिका है। इसलिए अभी से एकजुट होकर सभी को कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने अपने संसाधनों का उपयोग करके स्थानीय कृषि समस्याओं से संबंधित 168 अनुसंधान परियोजनाओं को वित्तपोषित किया है। यह गौरव का विषय है कि विश्वविद्यालय के सभी वैज्ञानिकों के पास कम से कम एक अनुसंधान परियोजना है।

दो दिनों तक चलने वाली इस बैठक में विश्वविद्यालय के अनुसंधान प्रयासों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। यहां अनुसंधान के क्षेत्र में प्रतिष्ठित व्यक्तियों को आमंत्रित किया गया है, जिनमें डॉ. एके पाठक, नवसारी कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, डॉ. एमवी चेट्टी, धारवाड़ कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और डॉ. विकास दास, राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र लीची के निदेशक शामिल हैं।

देश की कृषि को एक नई दिशा देगा विवि का अनुसंधान

डॉ. एम.वी. चेट्टी ने आरपीसीएयू के अनुसंधान की प्रशंसा की और कहा कि आने वाले समय में विश्वविद्यालय का अनुसंधान देश की कृषि को एक नई दिशा देगा। डिजिटल एग्रीकल्चर के क्षेत्र में विश्वविद्यालय के कार्यों ने देश भर में एक स्पष्ट प्रभाव डालना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि डिजिटल कृषि पर विश्वविद्यालय का अनुसंधान आने वाले वर्षों में महत्वपूर्ण परिणाम देगा, जो विश्व स्तर पर कृषि के भविष्य की रूपरेखा तय करेगा।

बैठक के दौरान, विश्वविद्यालयके वैज्ञानिकों द्वारा लिखित कई प्रकाशन जारी किए, जिनमें मक्का, मसालों, तिलहनी, अरहर और कंद वाली फसलों पर स्टेटस रिपोर्ट शामिल हैं। इसके अलावा,  सतत जल प्रबंधन पर एक पालिसी पेपर भी जारी किया गया। राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र लीची के निदेशक डॉ. विकास दास ने आरपीसीएयू की अनुसंधान पारिस्थितिकी की प्रशंसा की, इसे कई अनुसंधान संस्थानों के लिए प्रेरणादायक बताया। अनुसंधान निदेशक डॉ. ए. के. सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया और विश्वविद्यालय की अनुसंधान परियोजनाओं के पिछले छह महीनों के दौरान हुए विकास पर प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में अनुसंधान कुलपति के निर्देश पर किसान केंद्रित हो गया है और स्थानीय किसानों की समस्याओं पर भी कई अनुसंधान हो रहे हैं।

दो दिवसीय अनुसंधान परिषद की बैठक में विश्वविद्यालय में चल‌ रहे  280 से अधिक अनुसंधान परियोजनाओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा। अनुसंधान परिषद की बैठक में निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ मयंक राय, डीन बेसिक साइंस डॉ अमरेश चंद्रा , डीन इंजीनियरिंग डॉक्टर राम सुरेश वर्मा, डीन फिशरीज डॉ. पी. पी. श्रीवास्तव, डीन टीसीए ढोली डॉ. पी. पी. सिंह, पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. राकेश मणि शर्मा, डॉ. महेश कुमार, डॉ. शिवपूजन सिंह , डॉ. सतीश कुमार, डॉ. राजेश कुमार, डॉ. कुमार राज्यवर्धन समेत विभिन्न शिक्षक वैज्ञानिक एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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