प्रदूषण की जकड़ में मासूम बचपन, दिमागी विकास पर गंभीर खतरा

न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के मामले बढ़े, डॉक्टरों ने दी चेतावनी-प्रदूषण से बचाव ही है समाधान।
Khabari Chiraiya Desk अरुण शाही, मुजफ्फरपुर
बचपन की मासूमियत पर प्रदूषण की काली परछाई गहराती जा रही है। बच्चे, जो हंसते-खेलते अपना भविष्य गढ़ रहे होते हैं, अब न्यूरोलॉजिकल बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे हैं। पिछले डेढ़ महीने में एसकेएमसीएच और शहर के निजी अस्पतालों में ऐसे 100 से अधिक मरीजों का इलाज हुआ है। इन बीमारियों ने बच्चों के दिमागी विकास, तंत्रिका तंत्र और फेफड़ों पर गंभीर असर डाला है। डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण के महीन कण बच्चों के नाजुक फेफड़ों और मस्तिष्क को गहराई तक प्रभावित कर रहे हैं।
शहर के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने बताया कि प्रदूषित हवा में मौजूद नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, ओजोन और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे खतरनाक तत्व बच्चों के दिमाग और फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ये तत्व सांसों के जरिए मस्तिष्क तक पहुंचकर रक्त प्रवाह में बाधा डालते हैं और तंत्रिका तंत्र में सूजन पैदा करते हैं। इसका असर बच्चों के व्यवहार और दिमागी विकास पर दिख रहा है। खासकर, 4 से 8 साल के बच्चे इस खतरे की जद में ज्यादा हैं।
डॉ. दीपक कर्ण, एसकेएमसीएच के न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष, ने बताया कि बच्चों के फेफड़े वयस्कों की तुलना में अधिक नाजुक होते हैं। इस वजह से वे प्रदूषित हवा के महीन कणों से जल्दी प्रभावित होते हैं। इन कणों के कारण बच्चों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर, एडीएचडी, फेफड़ों के विकास में कमी और व्यवहार संबंधी शिथिलता जैसी गंभीर समस्याएं बढ़ रही हैं। लड़कों में इस समस्या की दर लड़कियों की तुलना में अधिक है।
डॉक्टरों ने यह भी बताया कि प्रदूषण के कारण बच्चों में तनाव बढ़ रहा है और उनकी एकाग्रता घट रही है। लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। कार्बन मोनोऑक्साइड मस्तिष्क में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बाधित करता है, जिससे सिरदर्द और चक्कर आने जैसी समस्याएं हो रही हैं। वहीं, सल्फर डाइऑक्साइड का तंत्रिका तंत्र पर उत्तेजक प्रभाव पड़ता है, जो सिरदर्द और चक्कर की समस्या को और बढ़ा देता है।
इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए डॉक्टरों ने सुझाव दिया कि लोगों को एयर क्वालिटी इंडेक्स के खतरों के प्रति जागरूक किया जाए। बच्चों को प्रदूषित इलाकों में जाने से रोका जाए और उच्च गुणवत्ता वाले मास्क का इस्तेमाल किया जाए। घर की हवा को साफ रखने के लिए एयर प्यूरीफायर का उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है। साथ ही, बच्चों के खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए, ताकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहे।
विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि प्रदूषण की समस्या पर काबू पाने के लिए व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर प्रयास जरूरी हैं। सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, पेड़ों की कटाई रोकना और सख्त पर्यावरणीय नियम लागू करना इस समस्या के दीर्घकालिक समाधान का हिस्सा हो सकते हैं।
यह भी पढ़ें… “देश को 2047 तक विकसित बनाने में वैज्ञानिकों की प्रमुख भूमिका”
यह भी पढ़ें… एल्यूमीनियम फैक्ट्री हादसे में घायल दो और मजदूरों ने दम तोड़ा, मरने वाले मजदूरों की संख्या अब चार हुई
यह भी पढ़ें…नीतीश का जूठन भी नहीं मिलेगा विरोधियों को, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का तंज
यह भी पढ़ें… केंद्र सरकार ने दी 8वें वेतन आयोग को मंजूरी, करोड़ों को मिलेगा फायदा
यह भी पढ़ें… ठंड बढ़ते ही ब्रेन हेमरेज के मामलों में बढ़ोतरी
आगे की खबरों के लिए आप हमारी वेबसाइट पर बने रहें…