February 18, 2025

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दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत, 27 साल बाद सत्ता में वापसी

दिल्ली में भजपा की जीत का जश्न

दिल्ली में भजपा की जीत का जश्न

नई दिल्ली सीट पर अरविंद केजरीवाल की करारी हार, कांग्रेस का सूपड़ा साफ

Khabari Chiraiya Desk : दिल्ली की राजनीति में 27 साल बाद ऐतिहासिक बदलाव आया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विधानसभा चुनावों में प्रचंड जीत दर्ज करते हुए 48 सीटों पर कब्जा जमाया और सत्ता में वापसी की। आम आदमी पार्टी (आप) 22 सीटों तक सिमट गई, जबकि कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी। यह नतीजा न केवल भाजपा के लिए उत्साहजनक है बल्कि दिल्ली की राजनीति का पूरा परिदृश्य बदलने वाला साबित हो सकता है।

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, मतगणना की शुरुआत से ही भाजपा ने निर्णायक बढ़त बना ली थी। बहुमत के लिए जरूरी 36 सीटों का आंकड़ा पार करने के बाद पार्टी ने लगातार अपनी स्थिति मजबूत करते हुए 48 सीटें हासिल कर लीं। यह जीत इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि 1998 के बाद पहली बार भाजपा को दिल्ली की सत्ता में वापसी का मौका मिला है।

चुनाव का सबसे बड़ा उलटफेर नई दिल्ली सीट पर हुआ, जहां दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को भाजपा प्रत्याशी परवेश साहिब सिंह वर्मा ने 4,089 वोटों से हरा दिया। यह हार न केवल केजरीवाल के लिए बल्कि आप के पूरे संगठन के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि यह वही सीट थी जहां से केजरीवाल लगातार जीतते आए थे। इसके अलावा, आप के वरिष्ठ नेताओं मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, सौरभ भारद्वाज और अवध ओझा को भी हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने अपनी सीट बचाने में सफलता हासिल की और कालकाजी से जीत दर्ज की।

इस बार विधानसभा चुनाव में मतदाता उत्साह तो दिखे, लेकिन 2020 के मुकाबले थोड़ा कम मतदान हुआ। कुल मतदान प्रतिशत 60.44% रहा, जो पिछले चुनाव से करीब 2% कम था। भाजपा ने इस नतीजे को अपनी जीत का संकेत बताया और दावा किया कि इस बार उनके मतदाता अधिक संख्या में मतदान केंद्रों तक पहुंचे। भाजपा मुख्यालय में कार्यकर्ताओं ने जमकर जश्न मनाया और इस विजय को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति का नतीजा बताया।

दूसरी ओर, कांग्रेस को इस चुनाव में सबसे बड़ा झटका लगा। पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि दिल्ली की राजनीति में कांग्रेस अब पूरी तरह हाशिये पर चली गई है। पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान जोर-शोर से वापसी के दावे किए थे, लेकिन मतदाताओं ने उसे पूरी तरह नकार दिया।

भाजपा की इस प्रचंड जीत के पीछे कई कारण माने जा रहे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार की लोकप्रियता और केंद्र सरकार की योजनाओं को जनता का समर्थन मिला। भाजपा ने अपने प्रचार अभियान में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद जैसे मुद्दों को आक्रामक तरीके से उठाया, जिससे उसके मतदाताओं में जोश बना रहा। इसके अलावा, आम आदमी पार्टी की सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार और प्रशासनिक खामियों को लेकर बने माहौल ने भाजपा को बढ़त दिलाई। पार्टी ने अपने प्रत्याशियों का चयन भी बेहद सोच-समझकर किया, जिससे उसे निर्णायक बढ़त मिली।

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