दिल्ली में 20 स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी

आतंक का यह खेल न केवल डर पैदा करता है, बल्कि हमारी सुरक्षा व्यवस्थाओं और डिजिटल निगरानी तंत्र की गंभीर खामियों को भी उजागर करता है
Khabari Chiraiya Desk : खबर राजधानी दिल्ली है, जो देश की सबसे सुरक्षित और संवेदनशील मानी जाने वाली जगहों में शामिल है और यह एक बार फिर दहशत के साये में है। बताया जा रहा है कि शुक्रवार की सुबह एक बार फिर कई स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी भरे ई-मेल मिले। करीब 20 से अधिक स्कूलों को भेजे गए इन ई-मेल्स ने प्रशासन और अभिभावकों दोनों की नींद उड़ा दी है। रिचमंड ग्लोबल स्कूल, अभिनव पब्लिक स्कूल और रोहिणी क्षेत्र के अन्य विद्यालय इस बार निशाने पर रहे। इससे पहले भी इसी वर्ष मई में दिल्ली-एनसीआर के कई स्कूलों को इसी तरह के धमकी भरे मेल मिले थे, जिन्हें बाद में झूठा पाया गया था।
अब सवाल यह उठता है कि क्या इस तरह की घटनाएं किसी मानसिक विकृति का परिणाम हैं या फिर इसके पीछे किसी बड़ी साजिश की पटकथा छिपी हुई है? यह चिंता केवल दिल्ली की नहीं है, बल्कि पूरे देश की है, जहां एक बच्चे को सुरक्षित शिक्षा देना आज भी एक चुनौती बना हुआ है।
इस तरह की घटनाएं न केवल स्कूल परिसरों को दहशत का केंद्र बना देती हैं, बल्कि बच्चों की मानसिक स्थिति पर भी गहरा असर छोड़ती हैं। जब सुबह-सुबह बच्चे स्कूल की ओर निकल रहे हों और अचानक खबर आए कि स्कूल में बम की सूचना है तो माता-पिता की हालत कैसी होती होगी, इसका अंदाजा किसी आंकड़े से नहीं लगाया जा सकता। इस भयावह स्थिति में सबसे अधिक असुरक्षित महसूस करता है वही बच्चा जो कल तक स्कूल को अपना दूसरा घर मानता था।
पुलिस और दमकल विभाग की तत्परता सराहनीय है, परंतु ऐसी घटनाएं बार-बार होने का अर्थ है कि कहीं न कहीं हमारी साइबर मॉनिटरिंग प्रणाली में बड़ा छेद है। ई-मेल से बम की धमकी देना कोई नई बात नहीं है, लेकिन हर बार यह करना और भेजने वाले का सुराग तक न मिल पाना बेहद चिंताजनक है। ऐसे में जरूरत है कि हमारी सुरक्षा एजेंसियां सिर्फ बम की जांच तक सीमित न रहें, बल्कि इन साइबर अपराधियों की पहचान कर उन्हें कानूनी शिकंजे में लाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करें।
सरकार और प्रशासन को अब स्कूलों के लिए एक मजबूत और आधुनिक सुरक्षा प्रोटोकॉल विकसित करने की जरूरत है। हर स्कूल में ई-मेल मॉनिटरिंग, इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम और बच्चों के लिए साइकोलॉजिकल काउंसलिंग की व्यवस्था की जानी चाहिए। इसके साथ ही आम नागरिकों को भी सतर्क और जागरूक बनाने की पहल होनी चाहिए ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तत्काल सूचना मिल सके।
हर धमकी एक संभावित खतरा है और उसे नजरअंदाज करना भविष्य के लिए खतरनाक हो सकता है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि देश के भविष्य यानी हमारे बच्चों की सुरक्षा के साथ कोई खिलवाड़ न हो। शिक्षा का माहौल भयमुक्त होना चाहिए…यह न केवल बच्चों का अधिकार है, बल्कि हर जागरूक समाज की जिम्मेदारी भी।
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