दिल्ली पुलिस हिरासत में युवक की संदिग्ध मौत पर मानवाधिकार आयोग सख्त

शारीरिक यातना के आरोपों से घिरे द्वारका थाना पर गिरी जांच की गाज, NHRC ने मांगी दो हफ्ते में रिपोर्ट
नई दिल्ली : दिल्ली के द्वारका नॉर्थ थाने से जुड़ा एक गंभीर मामला अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के रडार पर आ गया है। आईपी यूनिवर्सिटी में संविदा पर कार्यरत एक युवक की हिरासत के बाद हुई आत्महत्या ने राजधानी की कानून-व्यवस्था और पुलिस पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। युवक के शरीर पर मिले जख्मों और उसके द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 11 जुलाई 2025 को नांगली विहार निवासी युवक ने आत्महत्या कर ली। इससे एक दिन पहले, 10 जुलाई को उसे पुलिस ने चोरी के एक मामले में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। युवक पर एक महिला सुपरवाइजर ने शिकायत दर्ज कराई थी। परिजनों का आरोप है कि हिरासत के दौरान युवक को शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। उसके शरीर पर गहरे चोट के निशान थे और कथित रूप से उसे बिजली के झटके भी दिए गए थे जिससे उसके कानों में सूजन आ गई थी।
परिजनों ने बताया कि प्रताड़ना के बाद युवक की स्थिति बिगड़ने लगी थी और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां से उसे इंदिरा गांधी अस्पताल रेफर कर दिया गया। लेकिन अगले ही दिन उसका शव उसके कमरे में फांसी के फंदे से लटका मिला। घटनास्थल से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है, जिससे संकेत मिलता है कि हिरासत के दौरान हुई प्रताड़ना से वह मानसिक रूप से टूट गया था।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन की श्रेणी में माना है। आयोग ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
यह मामला न केवल दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि हिरासत में मानवाधिकार सुरक्षा की कमजोरियों को भी उजागर करता है। एनएचआरसी की कार्रवाई से यह संकेत जाता है कि अब ऐसे मामलों में जवाबदेही तय करने की दिशा में कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।
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