UP : बिजनौर जिला अस्पताल में इलाज के इंतजार में महिला की मौत, परिजनों ने किया हंगामा

बिजनौर जिला अस्हंपताल में गामे के बीच पुलिस।
इमरजेंसी में भर्ती महिला को रातभर नहीं मिला डॉक्टर, सुबह मौत के बाद परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाकर किया बवाल
Khabari Chiraiya UP Desk : खबर यूपी के बिजनौर जनपद से है। बताया जा रहा है कि यहा के जिला अस्पताल में एक महिला को उपचार नहीं मिल सका और उसे अपनी जान गंवानी पड़ी। गुरुवार की शाम गंभीर रूप से बीमार एक महिला को अस्पताल लाया गया, लेकिन कथित डॉक्टरों की अनुपस्थिति और स्टाफ की बेरुखी के चलते महिला ने शुक्रवार की सुबह दम तोड़ दिया। इस दर्दनाक घटना के बाद अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई और परिजनों ने जमकर हंगामा किया।
घटना जिले के ग्राम दुधली (किरतपुर) निवासी 55 वर्षीय सुनीता देवी की है, जिन्हें पेट दर्द और उल्टी-दस्त की शिकायत के बाद गुरुवार को दोपहर 3 बजे उनके बेटे शिव कुमार जिला अस्पताल लेकर आए थे। इमरजेंसी वार्ड में उन्हें भर्ती तो कर लिया गया, लेकिन परिजनों के अनुसार डॉक्टरों ने कह दिया कि इलाज रात 8 बजे के बाद ही शुरू होगा क्योंकि डॉक्टर तभी आएंगे।
शिव कुमार का कहना है कि रातभर उन्होंने डॉक्टर को बुलाने के लिए स्टाफ से कई बार गुहार लगाई, लेकिन न तो कोई डॉक्टर आया और न ही स्टाफ ने कोई संतोषजनक जवाब दिया। इमरजेंसी स्टाफ ने खुद को जिम्मेदारी से अलग कर लिया और कहा कि केवल संबंधित डॉक्टर ही मरीज को देख सकते हैं। इसी इंतजार में सुनीता देवी की हालत बिगड़ती गई और शुक्रवार की सुबह 7:45 बजे उनकी मौत हो गई।
महिला की मौत की खबर मिलते ही अस्पताल परिसर में तनाव फैल गया। परिजनों ने डॉक्टर और स्टाफ की लापरवाही के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और कड़ी कार्रवाई की मांग की। देखते ही देखते अस्पताल में भीड़ जुट गई। हालात को काबू में करने के लिए कोतवाली पुलिस और सीएमएस डॉ. मनोज सेन मौके पर पहुंचे और परिजनों को समझाने की कोशिश की।
इस पूरे मामले को लेकर एक और चौंकाने वाली बात यह रही कि ठीक एक दिन पहले बुधवार को राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. बबीता चौहान ने इस अस्पताल का औचक निरीक्षण किया था। उन्होंने तमाम व्यवस्थागत खामियों को मौके पर देखा और अधिकारियों को चेताया था। इसके बावजूद हालात में कोई सुधार नहीं दिखा, जो सवाल खड़े करता है कि क्या ऐसे अस्पतालों में आम नागरिकों की जान भगवान भरोसे छोड़ दी गई है?
इस घटना ने न केवल जिला अस्पताल की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाए हैं, बल्कि स्वास्थ्य विभाग की जवाबदेही और संवेदनशीलता पर भी गंभीर चिंतन की जरूरत को उजागर किया है।
यह भी पढ़ें… दिल्ली में 20 स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी
यह भी पढ़ें… गोद लेने की प्रक्रिया में भावनात्मक सुरक्षा को मिलेगा नया संबल
आगे की खबरों के लिए आप हमारी वेबसाइट पर बने रहें…