सीवरेज के सड़ांधभरे पानी में बीमारियों की दस्तक

- मच्छरों की भरमार और इसी से डेंगू, त्वचा रोग, पेट की बीमारियां और सांस की समस्याएं आम होती जा रही हैं।
Khabari Chiraiya Desk : शहर के अनेक इलाके इन दिनों बर्बादी के कगार पर खड़े हैं। गलियों और सड़कों पर पसरा सीवरेज का गंदा पानी अब लोगों के जीवन पर भारी पड़ रहा है। बदबू, बीमारी और बेबसी से त्रस्त लोग रोज मरने की स्थिति में पहुंच चुके हैं, लेकिन प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। हालात ऐसे हो गए हैं कि कई बस्तियों में रहना अब इंसानी गरिमा के खिलाफ लगने लगा है।
जानकारी के अनुसार, शहर के रविदास मंदिर के पास घनी आबादी वाले क्षेत्र में सीवरेज का पानी लंबे समय से जमा है। नालियां बंद पड़ी हैं और निकासी का कोई इंतजाम नहीं है। यही हाल कॉलेज रोड, तीन कोनिया ओवरब्रिज, कुर्रा दा टिब्बा, मिढ़ा भवन स्ट्रीट और अग्रसेन भवन सहित कई इलाकों का है। वीर नगर और भट्टा बस्ती के लोग सबसे अधिक प्रभावित हैं। वहां के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यहां वर्षों से यह समस्या बनी हुई है लेकिन आज तक कोई अधिकारी, कोई जनप्रतिनिधि उनकी सुध लेने नहीं आया। बदबू ऐसी कि सांस लेना मुश्किल हो जाता है। जलभराव से मच्छरों की भरमार है और इसी से डेंगू, त्वचा रोग, पेट की बीमारियां और सांस की समस्याएं आम होती जा रही हैं।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि जब इन पीड़ित लोगों ने प्रशासन के खिलाफ विरोध जताया, तो उन्हें राहत देने की बजाय पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। यह स्थिति एक सभ्य समाज की नहीं बल्कि प्रशासनिक संवेदनहीनता का प्रमाण है।
सूत्रों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग गमलों और कूलरों में खड़े पानी को देखकर चालान काटता है, लेकिन सड़कों पर भरे इस गंदे सीवरेज पर चुप्पी साधे बैठा है। यह दोहरे मापदंड का स्पष्ट प्रमाण है।
बहुजन समाज पार्टी के रघबीर सिंह रामगढ़िया ने प्रशासन पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अगर अधिकारी इस ओर तुरंत ध्यान नहीं देते हैं तो यह स्थिति महामारी का रूप ले सकती है। उन्होंने मांग की कि सीवरेज निकासी की व्यवस्था को तुरंत दुरुस्त किया जाए और प्रभावित इलाकों का स्वास्थ्य सर्वे कराया जाए।
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