यूपी में 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में होती है बाजरे की खेती

कम वर्षा में भी की जा सकती है बाजरा की खेती, बाजरे की संकर प्रजाति के बीज पर अनुदान उपलब्ध करा रही योगी सरकार
Khabari Chiraiya Desk : अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के बाजरा को मिली बड़ी मान्यता के बाद यूपी की योगी सरकार ने बाजरे की खेती को लेकर अपना रूख स्पष्ट कर दिया। सरकार ने जारी अपने बयान में इस बात का उल्लेख किया है कि बाजरा श्रीअन्न की प्रमुख फसल है। उत्तर प्रदेश में धान, गेहूं एवं मक्का के पश्चात लगभग 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बाजरा की खेती की जाती है। दरअसल रोम स्थित संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) मुख्यालय में 14 से 18 जुलाई के बीच आयोजित कोडेक्स एलीमेंटेरियस आयोग की कार्यकारी समिति (सीसीएक्सईसी88) के 88वें सत्र में साबुत बाजरा के लिए विकसित किए जा रहे समूह मानक पर भारत की अगुवाई की जमकर सराहना की गई।
बाजरा के गुणों का उल्लेख करते हुए सरकार ने बताया है कि बाजरा के दानों में भरपूर पौष्टिकता होती है। विशेष रूप से फाइबर, प्रोटीन, विटामिन बीकॉम्पलेक्स, कैल्शियम, फास्फोरस एवं मैगनीज तत्वों के साथ एन्टीआक्सीडेंट भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करती है। इससे बाजार में इसकी मांग है। बाजरा के प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ में औषधीय गुण भी पाये जाते हैं। बाजरा के उत्पाद मधुमेह के नियंत्रण, हृदय के स्वास्थ्य सुधार हेतु उपयुक्त, ग्लुटेन की मात्रा कम पाये जाने के कारण पेट के रोगों से राहत दिलाने में सहयोग के साथ ही वर्तमान समय में मोटापा कम करने और वजन सुधार में भी लाभदायक है।
वैज्ञानिक शोध एवं तकनीकी विकास के कारण बाजरे के दानों से कई प्रकार की औषधियों का भी निर्माण किया जा रहा है। योगी सरकार इन्हीं गुणों को देखते हुए बाजरा (श्रीअन्न) किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। सरकार ने बताया है कि बाजरा की खेती अपेक्षाकृत कम वर्षा (400-500 मिमी.) में भी की जा सकती है। वर्तमान में लगभग प्रदेश के 29 जनपदों में औसत से कम वर्षा पायी गयी है। जहां कम वर्षा के कारण धान की खेती नहीं की जा सकती, किसानों के लिए उन क्षेत्रों में बाजरा की फसल लेना लाभदायक सिद्ध होगा।
बाजरा की फसल लगभग धान की असफल बुवाई की स्थिति में अगस्त माह के मध्य तक कर सकते हैं। फसल की अवधि अधिकतम 80-85 दिन होने के कारण 10 नवम्बर के पूर्व कटाई कर रबी की फसल की बुवाई समय से की जा सकती है। बाजरा की फसल से 25-30 कुन्तल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिल जाती है, तो दूसरी तरफ धान की अपेक्षा लागत कम होने एवं बाजरा का बाजार मूल्य अधिक होने के कारण प्रति इकाई किसानों को अपेक्षाकृत अधिक लाभ की संभावना हो सकती है। बाजरा की संकर प्रजाति 86एम84, बायो-8145, एन0बी0एच0-5929 के साथ संकुल प्रजाति धनशक्ति की उत्पादन क्षमता 35-40 कुन्तल प्रति हेक्टेयर तक है।
उत्तर प्रदेश का काफी क्षेत्रफल असमतल एवं कम वर्षा आधारित होने के कारण धान की खेती हेतु उपयुक्त नहीं होते हैं। ऐसी भूमि में भी बाजरा की खेती कर किसान अतिरिक्त लाभ प्राप्त कर सकते हैं परंतु बुवाई से पूर्व भूमि जनित रोगों से बचाने के लिए ट्राइकोडरमा, हारजीएनम 2 प्रतिशत पाउडर का 2.50 किग्रा0 की मात्रा से भूमि शोधन करना आवश्यक होता है।
योगी सरकार राजकीय कृषि बीज भण्डारों के माध्यम से बाजरे की संकर प्रजाति के बीज पर अनुदान उपलब्ध करा रही है, जिससे किसानों की लागत कम हो जाती है, दूसरी तरफ सरकार द्वारा बाजरे की फसल वर्ष 2022-23 से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बाजरा का क्रय किया जा रहा है। इससे निःसंदेह ही किसानों को लाभकारी मूल्य प्राप्त होने से अतिरिक्त लाभ प्राप्त करने की संभावना बढ़ सकती है। कृषि विभाग ने किसानों से अनुरोध किया है कि खरीफ के मौसम में भूमि की उपयुक्तता के अनुसार बाजरे की खेती कर सरकारी योजनाओं के माध्यम से अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें… अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के बाजरा को मिली बड़ी मान्यता
आगे की खबरों के लिए आप हमारी वेबसाइट पर बने रहें…