सुरक्षा की अनदेखी बनी दुर्घटनाओं की बड़ी वजह, नाबालिग चालकों के भरोसे सड़कों पर दौड़ रहे ई-रिक्शा

बिहार
सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए…राजधानी पटना, गया, भागलपुर और मुजफ्फरपुर जैसे शहरों में हर महीने औसतन 15 हजार से अधिक सड़क दुर्घटनाएं सामने आ रही हैं
Khabari Chiraiya Bihar Desk : खबर बिहार राज्य से है। इस राज्य में ई-रिक्शा की बढ़ती संख्या जितनी राहत देने वाली है, उससे कहीं अधिक चिंता की बात बनती जा रही है। राज्य के दस प्रमुख शहरों में हुए एक सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। राजधानी पटना से लेकर गया, भागलपुर और मुजफ्फरपुर जैसे शहरों में हजारों नाबालिग चालक बिना प्रशिक्षण और कानूनी दस्तावेजों के ई-रिक्शा चला रहे हैं, जिससे हर महीने औसतन 15 हजार से अधिक सड़क दुर्घटनाएं सामने आ रही हैं।
80 हजार से अधिक नाबालिग चला रहे हैं ई-रिक्शा
परिवहन विभाग द्वारा सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान कराए गए सर्वे में यह स्पष्ट हुआ है कि राज्य में कुल एक लाख 45 हजार ई-रिक्शा में से 80 हजार से अधिक ऐसे चालकों के हवाले हैं, जो नाबालिग हैं। इनमें से एक बड़ी संख्या के पास सड़क संकेतों की जानकारी तक नहीं है। यह स्थिति न केवल यात्री सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है, बल्कि सड़कों पर चलने वाले अन्य वाहन चालकों के लिए भी खतरा बन गई है।
दायें-बायें की समझ नहीं, ट्रैफिक सिग्नल भी अनजान
सर्वे रिपोर्ट यह भी बताती है कि नाबालिग चालकों को न तो ट्रैफिक लाइट के रंगों की जानकारी है और न ही यह समझ है कि सड़क पर दायें चलना है या बायें। बीच सड़क पर अचानक मुड़ जाना, यू-टर्न के नियम न जानना और ज़ेब्रा क्रॉसिंग का मतलब न समझना, ये सभी आदतें रोज़ाना हादसों का कारण बन रही हैं।
पकड़े गए पांच हजार से अधिक चालक बिना लाइसेंस के
परिवहन विभाग की छापेमारी में अब तक 5743 ऐसे ई-रिक्शा चालकों को पकड़ा गया है जो बिना ड्राइविंग लाइसेंस के वाहन चला रहे थे। इनमें 4076 चालक नाबालिग पाए गए। बाकी भी ऐसे वयस्क थे जिनके पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। यह स्पष्ट उल्लंघन मोटर वाहन अधिनियम का सीधा-सीधा उल्लंघन है, जो किसी भी मोटरयुक्त वाहन को चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस को अनिवार्य बनाता है।
पटना, गया और भागलपुर में सबसे ज्यादा खतरा
पटना में चल रहे लगभग 50 हजार ई-रिक्शा में से 25 से 30 हजार ई-रिक्शा ऐसे हैं जिन्हें नाबालिग चला रहे हैं। गया में कुल 10 हजार में से 6 हजार ई-रिक्शा नाबालिग चालकों के जिम्मे हैं जबकि भागलपुर में 20 हजार में से लगभग 10 हजार ऐसे ही चालक हैं। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि राज्य के बड़े शहरों में ई-रिक्शा की मौजूदा व्यवस्था गंभीर निरीक्षण की मांग करती है।
ई-रिक्शा की बेतरतीब वृद्धि से खतरे में यात्री
पिछले तीन वर्षों में ई-रिक्शा की संख्या में 80 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन इसके साथ-साथ सुरक्षा मानकों और चालक प्रशिक्षण पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। इस लापरवाही का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है, जो रोज़ाना ऐसे वाहनों में यात्रा करती है।
ज़रूरत है ठोस नीति और सख्त कार्रवाई की
राज्य सरकार और परिवहन विभाग के लिए यह वक्त आंख खोलने वाला है। बिना लाइसेंस और अनुभव के चलाए जा रहे ई-रिक्शा को रोकना अब अनिवार्य हो गया है। नाबालिग चालकों पर कार्रवाई के साथ-साथ ड्राइविंग प्रशिक्षण, लाइसेंस प्रणाली और सख्त जांच व्यवस्था को लागू करना समय की मांग है। वरना सड़कें ऐसे ही मासूम यात्रियों की जान लेने का कारण बनती रहेंगी।
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