कनाडा में आयोजित समारोह में हिंदी साहित्य की वैश्विक यात्रा को मिला मंच

प्रो. रवींद्र कुमार रवि और डॉ. मंजरी वर्मा को सम्मान, विदेशों में हिंदी की भूमिका पर हुई चर्चा, इस सम्मान को लेकर बधाइयों का सिलसिला जारी
Khabari Chiraiya भारत/कनाडा : टोरंटो में हुए भव्य आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय भाषाएं और विशेषकर हिंदी अब केवल भारत तक सीमित नहीं रहीं। मुजफ्फरपुर के दो प्रख्यात शिक्षाविदों…प्रो. रवींद्र कुमार रवि और डॉ. मंजरी वर्मा को वहां सम्मानित किया गया, जिससे बिहार और भारत के साहित्यिक जगत की गरिमा अंतरराष्ट्रीय धरातल पर और ऊंची हो गई।
हिंदी की सामाजिक भूमिका पर हुई गहन चर्चा
19 जुलाई, 2025 को कनाडा के टोरंटो शहर में आयोजित ‘हिंदी राइटर्स गिल्ड’ के विशेष समारोह में हिंदी भाषा और साहित्य की वैश्विक उपस्थिति और इसकी सामाजिक भूमिका पर चर्चा हुई। इस मौके पर बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के पूर्व कुलपति प्रो. रवींद्र कुमार रवि और एलएस कॉलेज की पूर्व राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. मंजरी वर्मा को उनकी विद्वत्ता और सामाजिक योगदान के लिए शाल व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
प्रेमचंद से लेकर समाज तक, साहित्य की मशाल
मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. रवि ने हिंदी साहित्य के सामाजिक महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने प्रेमचंद के लेखन को उदाहरण बनाते हुए कहा कि साहित्य समाज के अंधेरे कोनों को रोशन करने वाली मशाल है। उन्होंने बताया कि आज जब हिंदी वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रही है, तब इसकी सामाजिक भूमिका और भी प्रासंगिक हो गई है।
चंपारण आंदोलन से मिली प्रेरणा को साझा किया
डॉ. मंजरी वर्मा ने चंपारण में अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने साक्षरता अभियान के दौरान महिलाओं के बीच साहित्य को एक सशक्त परिवर्तनकारी माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया। उन्होंने यह भी कहा कि साहित्य केवल किताबों तक सीमित नहीं होता, वह जमीनी हकीकतों को बदलने का सामर्थ्य रखता है।
कविता पाठ में बिखरी संवेदना और चेतना
इस समारोह का दूसरा भाग काव्य गोष्ठी के रूप में आयोजित किया गया, जिसमें प्रो. रवि ने अपनी कविताओं से उपस्थित जनसमूह को बांधे रखा। उनकी कविताओं में सामाजिक चेतना, मानवीय पीड़ा और बदलाव की पुकार स्पष्ट रूप से महसूस की गई, जिसे श्रोताओं ने बेहद सराहा।
सम्मान और गौरव का क्षण
‘हिंदी राइटर्स गिल्ड’ की अध्यक्षा प्रोफेसर शैलजा सक्सेना, जो स्वयं कनाडा की प्रतिष्ठित कवयित्री हैं, ने दोनों अतिथियों को सम्मानित किया। इस अवसर पर कनाडा में भारतीय दूतावास की अधिकारी मोनिका जी की उपस्थिति ने समारोह को और गरिमामयी बना दिया।
शुभकामनाओं का सिलसिला
भारत से भी इस सम्मान को लेकर बधाइयों का सिलसिला जारी है। महात्मा गांधी मीडिया विभाग, मुजफ्फरपुर के प्रो. डॉ. परमात्मा मिश्रा ने दोनों शिक्षाविदों को इस उपलब्धि पर शुभकामनाएं दीं और इसे बिहार की साहित्यिक चेतना के लिए प्रेरणास्रोत बताया।
यह आयोजन एक बार फिर यह साबित करता है कि हिंदी अब वैश्विक संवाद की भाषा बन चुकी है और भारतीय बौद्धिक परंपरा के वाहक विदेशों में भी समाज को दिशा देने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
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