July 23, 2025

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UNSC में भारत ने अमेरिका को दिखाया हकीकत का आईना

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के मंच पर कहासीजफायर पाकिस्तानी गुजारिश पर हुआ, अमेरिका की भूमिका सिर्फ दावा रही, संयुक्त राष्ट्र में भारत ने ट्रंप की ‘मध्यस्थता’ की कहानी को फिर नकारा, भारत ने शांति और सच्चाई के पक्ष में खड़े होकर अमेरिकी दावे की हवा निकाल दी

Khabari Chiraiya Desk : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के मंच पर एक बार फिर अमेरिका की कथित मध्यस्थता के दावे को भारत ने सख्ती से खारिज कर दिया। कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा शुरू किए गए सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर अमेरिका ने जो श्रेय लेने की कोशिश की थी, उस पर भारत ने स्पष्ट और तथ्य आधारित जवाब दिया। भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने संयुक्त राष्ट्र में दिए अपने बयान में साफ कहा कि पाकिस्तान की अपील पर भारत ने सैन्य कार्रवाई स्थगित की थी, न कि अमेरिकी हस्तक्षेप के कारण।

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दरअसल, यह मामला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की उस खुली बहस का हिस्सा बना जिसका विषय था…‘बहुपक्षीयता और विवादों का शांतिपूर्ण समाधान’। इस बहस में अमेरिका की कार्यवाहक प्रतिनिधि डोरोथी शिआ ने कहा कि मई में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अहम भूमिका रही। उन्होंने दावा किया कि अमेरिकी लीडरशिप के प्रयासों से दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम संभव हो सका।

लेकिन भारत ने इस कथन का कड़ा विरोध करते हुए इसे पूरी तरह से झूठा करार दिया। भारतीय प्रतिनिधि पी. हरीश ने दो टूक कहा कि अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी। भारत ने अपनी सैन्य कार्रवाई पाकिस्तान की सीधी गुजारिश पर रोकी थी, जो ऑपरेशन सिंदूर के प्राथमिक उद्देश्य पूरे होने के बाद हुआ। हरीश ने यह भी जोड़ा कि इस बाबत विदेश मंत्री एस. जयशंकर पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि पाकिस्तान के डीजीएमओ मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने खुद भारत के लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई से संपर्क कर संघर्ष विराम की गुजारिश की थी।

इस घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का वह रवैया है जिसमें वे बार-बार भारत-पाक तनाव में मध्यस्थता का श्रेय लेने की कोशिश करते रहे हैं। यह पहला मौका नहीं है जब भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अमेरिका के बयान का खंडन करना पड़ा हो। इससे पहले भी भारत ने स्पष्ट किया था कि भारत-पाक मसले पूरी तरह से द्विपक्षीय हैं और किसी तीसरे पक्ष की भूमिका की आवश्यकता नहीं है।

सबसे अहम बात यह रही कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ट्रंप से बातचीत के दौरान साफ शब्दों में कहा था कि संघर्ष विराम की प्रक्रिया में अमेरिका की कोई प्रत्यक्ष या परोक्ष भूमिका नहीं है। यह बयान भारत की विदेश नीति की उस निरंतरता को दर्शाता है जो बाहरी हस्तक्षेप को स्पष्ट रूप से नकारती है।

संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय मंच पर भारत का यह रुख न केवल उसकी संप्रभुता की रक्षा का संकेत है, बल्कि यह भी बताता है कि भारत अब वैश्विक कूटनीति में तथ्यों के साथ खड़ा होना जानता है। ट्रंप की बयानबाजी को जहां घरेलू राजनीति और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव जमाने की कोशिश माना जा रहा है, वहीं भारत ने शांति और सच्चाई के पक्ष में खड़े होकर अमेरिकी दावे की हवा निकाल दी।

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