बिहार : ‘मुफ्त’ बिजली का वादा चमकदार है, लेकिन सवाल : जब बिजली ही नहीं आएगी, तो फायदा किसे मिलेगा…?

गांवों में अब भी अंधेरा कायम, बिहार सरकार ने हर घर को 125 यूनिट मुफ्त बिजली देने की घोषणा कर दी है, लेकिन मोतिहारी जैसे जिलों में घंटों बिजली गुल रहने से ग्रामीण परेशान हैं
Khabari Chiraiya Bihar Desk : बिहार सरकार ने बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत देते हुए जुलाई 2025 से हर महीने 125 यूनिट बिजली मुफ्त देने की ऐतिहासिक योजना लागू कर दी है। इस योजना के तहत न सिर्फ ऊर्जा शुल्क बल्कि फिक्स्ड चार्ज और बिजली शुल्क भी पूरी तरह माफ होंगे। इसका लाभ राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को मिलेगा।
सरकार का दावा है कि इससे आम जनता को बड़ी राहत मिलेगी और बिजली को लेकर आर्थिक बोझ घटेगा, लेकिन इस बड़ी घोषणा के बीच जमीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर दिखा रही है। पूर्वी चंपारण के मोतिहारी समेत कई जिलों में घंटों बिजली कटौती जारी है। ग्रामीण और शहरी दोनों ही इलाके प्रभावित हैं, जहां दिन में 5 से 6 घंटे और कभी-कभी तो 10 से 12 घंटे तक बिजली गुल रहना आम हो गया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जब बिजली ही नहीं आएगी, तो ‘मुफ्त’ बिजली का फायदा किसे मिलेगा?
मोतिहारी शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक बिजली कटौती से लोग बुरी तरह परेशान हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि हल्की सी बारिश या हवा चलते ही बिजली चली जाती है और फिर घंटों इंतजार करना पड़ता है। अधिकारियों की ओर से ‘ओवरलोडिंग’ या ‘तकनीकी खराबी’ की पुरानी दलीलें ही दोहराई जाती हैं। सरकार की मुफ्त बिजली योजना तो सराहनीय है, लेकिन जमीनी स्तर पर बिजली की निरंतरता ही सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।
सरकार ने योजना के साथ-साथ सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने की भी पहल की है। अगले तीन सालों में 1.1 किलोवाट के सोलर प्लांट लगाने वालों को प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। बीपीएल श्रेणी के उपभोक्ताओं को पूर्ण वित्तीय सहायता मिलेगी, जबकि अन्य को भी सब्सिडी मिलेगी। हालांकि यह सौर संयंत्र लगाना बाध्यकारी नहीं है, बल्कि यह विकल्प के तौर पर है ताकि उपभोक्ता खुद भी ऊर्जा उत्पादन में सक्षम बन सकें।
स्मार्ट प्रीपेड मीटर रखने वाले उपभोक्ताओं को भी इस योजना का लाभ मिलेगा। हर महीने की पहली तारीख से 125 यूनिट तक कोई शुल्क नहीं कटेगा। किरायेदार भी लाभ पा सकेंगे, यदि उनके नाम पर वैध बिजली कनेक्शन होगा। हालांकि पुराने बकाया बिल इस योजना में शामिल नहीं होंगे।
अब उपभोक्ता अपने बिल में “राज्य सरकार का अनुदान” शीर्षक के अंतर्गत सब्सिडी को स्पष्ट रूप से देख सकेंगे। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और लोगों को योजना की वास्तविक उपलब्धियों का आंकलन करने में मदद मिलेगी।
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