मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ी, संसद से मिली मंजूरी

- मई 2023 से जारी जातीय हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में हालात अब तक नहीं हुए सामान्य, एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद फरवरी 2025 से लागू है राष्ट्रपति शासन, जिसे अब 31 अगस्त से आगे बढ़ाया गया
Khabari Chiraiya New Delhi Desk : मणिपुर में कानून-व्यवस्था की बिगड़ी स्थिति और लगातार जारी जातीय तनाव को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की अवधि को और छह महीने के लिए बढ़ा दिया है। यह विस्तार 31 अगस्त 2025 से प्रभावी होगा। संसद में गृहमंत्री अमित शाह द्वारा प्रस्तुत इस वैधानिक संकल्प को मंजूरी दे दी गई है। इसमें संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत मणिपुर में लागू राष्ट्रपति शासन को 13 अगस्त से आगे छह महीने तक बनाए रखने का प्रस्ताव रखा गया था।
राज्य में राष्ट्रपति शासन पहली बार 13 फरवरी 2025 को लगाया गया था, जब मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के बाद विधानसभा भंग कर दी गई थी और राज्य की सत्ता सीधे केंद्र सरकार के अधीन आ गई थी। संविधान के अनुसार, किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन अधिकतम छह महीने के लिए लगाया जा सकता है, जिसे विशेष परिस्थितियों में आगे भी बढ़ाया जा सकता है। चूंकि मणिपुर में शांति की स्थिति अभी तक बहाल नहीं हो सकी है, इसलिए केंद्र सरकार ने इसका विस्तार आवश्यक समझा।
जातीय हिंसा में 260 से ज्यादा लोगों की जान गई
मणिपुर में जारी अशांति की जड़ें मई 2023 में शुरू हुईं, जब राज्य के दो प्रमुख समुदायों मैतेई और कुकी के बीच जातीय संघर्ष भड़क उठा। इस हिंसा में अब तक 260 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं, जबकि हजारों परिवारों को अपना घर छोड़कर राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है। कई इलाकों में आगजनी, लूटपाट और गोलीबारी की घटनाएं सामने आई थीं, जिससे राज्य का सामाजिक ताना-बाना पूरी तरह से प्रभावित हुआ।
हालांकि केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर कई बार शांति बहाली की कोशिशें कीं, लेकिन हिंसा की लहर बार-बार लौट आती रही। इसी राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता के बीच फरवरी 2025 में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे राजनीतिक संकट और गहराया। इसके तुरंत बाद केंद्र ने विधानसभा को भंग कर राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया।
विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक दोनों समुदायों के बीच भरोसे का माहौल नहीं बनता और हिंसा की आग पूरी तरह से नहीं बुझती, तब तक लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करना चुनौतीपूर्ण रहेगा। राष्ट्रपति शासन का यह विस्तार भी इसी प्रयास का हिस्सा है, ताकि प्रशासनिक व्यवस्था को स्थिर किया जा सके और राज्य को फिर से सामान्य स्थिति की ओर लौटाया जा सके।
केंद्र सरकार ने संकेत दिया है कि मणिपुर में हालात सामान्य होने पर विधानसभा चुनाव पर भी विचार किया जाएगा, लेकिन फिलहाल शांति और सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी।
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