राष्ट्रीय : ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का रहस्य लॉजिस्टिक्स की ताकत बनी

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जीएसवी के दीक्षांत समारोह में कहा-अब युद्ध केवल हथियारों से नहीं, बल्कि समयबद्ध लॉजिस्टिक्स से जीते जाते हैं
Khabari Chiraiya Desk : ऑपरेशन सिंदूर जैसी सैन्य सफलताओं के पीछे बंदूक और गोला-बारूद की ताकत जितनी अहम होती है, उतनी ही निर्णायक भूमिका लॉजिस्टिक्स की भी होती है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 27 जुलाई को वडोदरा स्थित गति शक्ति विश्वविद्यालय (GSV) के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए यही बात दोहराई। उन्होंने कहा कि “सशस्त्र बलों को सही समय पर सही संसाधन और उपकरण उपलब्ध कराना ही ऑपरेशन सिंदूर की सफलता में सबसे बड़ा कारक था।”
युद्ध के नियम बदल रहे हैं, लॉजिस्टिक्स बन रहा सबसे बड़ा हथियार
राजनाथ सिंह ने कहा कि आज के दौर में युद्ध सिर्फ बंदूक और गोलियों से नहीं, बल्कि उन्हें कब और कैसे पहुंचाया गया—इस पर निर्भर करता है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को उत्कृष्ट लॉजिस्टिक्स प्रबंधन का उदाहरण बताया। मंत्री ने इस मौके पर लॉजिस्टिक्स को केवल वस्तु-परिवहन की प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक रणनीतिक शक्ति करार दिया, जो युद्ध हो या आपदा—हर चुनौती में अराजकता को नियंत्रण में बदलने की क्षमता रखता है।
भारत की प्रगति का इंजन बन रही लॉजिस्टिक्स प्रणाली
रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि चाहे सीमा पर तैनात सैनिक हों या आपदा राहत दल—अगर संसाधनों की डिलीवरी समय पर न हो, तो सबसे मजबूत इच्छाशक्ति भी कमजोर पड़ जाती है। उन्होंने कहा कि कोविड काल में जब देश को ऑक्सीजन सिलेंडर, टीके और मेडिकल टीमों की तत्काल आवश्यकता थी, उस समय लॉजिस्टिक्स ने ही देश को संभाला।
नीतियों और परियोजनाओं ने रखा आधार
राजनाथ सिंह ने बताया कि पिछले 11 वर्षों में देश के आधारभूत ढांचे में अभूतपूर्व विकास हुआ है। पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान को उन्होंने ‘भविष्य का विजन’ बताया, जिसमें रेलवे, सड़क, जलमार्ग, बंदरगाह, हवाई अड्डे और जन परिवहन जैसे सात स्तंभ भारत को विकसित अर्थव्यवस्था की दिशा में ले जा रहे हैं। यह सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि अत्याधुनिक तकनीक और डेटा-आधारित योजना से जुड़ा एक क्रांतिकारी प्रयास है।
लॉजिस्टिक्स लागत घटेगी, प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के बारे में बात करते हुए मंत्री ने बताया कि इसका उद्देश्य भारत की लॉजिस्टिक्स लागत को मौजूदा 13-14% से घटाकर विकसित देशों के स्तर तक लाना है। इससे भारतीय उत्पाद घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धी होंगे और उद्यमिता को नया आयाम मिलेगा।
जीएसवी: शिक्षा नहीं, एक राष्ट्रीय मिशन
रक्षा मंत्री ने गति शक्ति विश्वविद्यालय की भूमिका की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि यह संस्थान सिर्फ एक शैक्षणिक केंद्र नहीं, बल्कि एक विचार और मिशन है, जो भारत को तेज, संगठित और समन्वित रूप से आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रहा है। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे केवल नौकरी की चाह नहीं, बल्कि समाधानकारी सोच के साथ देश को 2047 तक विकसित बनाने के लक्ष्य में भागीदार बनें।
डिजिटलीकरण और एआई-आधारित लॉजिस्टिक्स को बताया राष्ट्रीय आवश्यकता
राजनाथ सिंह ने कहा कि आज भारत को स्वचालित, टिकाऊ और एआई-सक्षम लॉजिस्टिक्स प्रणालियों की आवश्यकता है। उन्होंने जीएसवी और उसके छात्रों के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह संस्थान आने वाले समय में भारत को लॉजिस्टिक्स की वैश्विक राजधानी बनाने में मददगार साबित होगा।
दीक्षांत समारोह में कई विशिष्ट अतिथि रहे मौजूद
कार्यक्रम में रेल, सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव, वडोदरा के सांसद डॉ. हेमांग जोशी और कुलपति प्रो. (डॉ.) मनोज चौधरी भी शामिल हुए। जीएसवी, जो कि रेल मंत्रालय के अधीन एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है, लॉजिस्टिक्स और परिवहन क्षेत्रों में नई पीढ़ी के विशेषज्ञ तैयार कर रहा है।
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