October 15, 2025

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साइबर ठगी का नया हथकंडा…बिहार में 125 यूनिट मुफ्त बिजली की आड़ में मोबाइल पर आ रहा धोखाधड़ी का लिंक

ठगी के मामलों में मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर्स की भूमिका सवालों के घेरे में, क्योंकि मोबाइल कंपनियों की लापरवाही से उड़ रही जनता की गाढ़ी कमाई

Khabari Chiraiya Desk : बिहार की नीतीश कुमार सरकार की 125 यूनिट मुफ्त बिजली योजना आम लोगों के लिए राहत की उम्मीद है, लेकिन अब यही योजना साइबर अपराधियों के लिए कमाई का जरिया बन गई है। साइबर ठग इस स्कीम की आड़ में भोले-भाले उपभोक्ताओं को निशाना बना रहे हैं। लोगों को मोबाइल पर एक लिंक भेजा जा रहा है, जिसमें लिखा होता है कि इस लिंक पर क्लिक करने से उन्हें सरकार की मुफ्त बिजली योजना का लाभ मिलेगा। जो क्लिक नहीं करेगा, उसे योजना से बाहर कर दिया जाएगा। इसी डर और लालच में आकर लोग लिंक पर क्लिक कर देते हैं और वहीं से शुरू हो जाती है उनके खातों की सफाई।

इस नए साइबर फ्रॉड के पीछे अपराधियों की पुरानी रणनीति ही काम कर रही है…लालच और डर। कभी CBI या पुलिस अफसर बनकर फोन पर धमकाना, तो कभी डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाना। अब बिजली की मुफ्त यूनिट को लेकर झांसा दिया जा रहा है। जिस योजना से आम जनता को राहत मिलनी थी, अब वही उनके लिए मुसीबत बनती जा रही है।

इन ठगी के मामलों में मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर्स की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। आज भी हजारों की संख्या में फर्जी कॉल्स और मैसेज बेरोकटोक मोबाइल फोन पर पहुंच रहे हैं। ये दिखाता है कि या तो मोबाइल कंपनियां लापरवाह हैं या जानबूझकर आंख मूंदे हुए हैं। साइबर ठग इन्हीं कंपनियों की ‘मेहरबानी’ से रोज करोड़ों रुपये की ठगी कर लेते हैं और पीड़ित को कानूनी दांव-पेंच में उलझा दिया जाता है।

चौंकाने वाली बात ये है कि ऐसे साइबर अपराधों के गढ़ के रूप में बिहार, झारखंड और हरियाणा जैसे राज्य उभरकर सामने आए हैं। पुलिस और एजेंसियों की लाख कोशिशों के बावजूद इन राज्यों में गिरोह के गिरोह ऐसे फ्रॉड में लगे हैं। कई बार गिरफ्तारियां होती हैं, लेकिन तंत्र इतना मजबूत है कि एक गिरोह के खत्म होते ही दूसरा तैयार हो जाता है।

सरकार की जन-जागरण कोशिशों के बावजूद बड़ी संख्या में लोग अभी भी साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक नहीं हैं। लोग तकनीकी बातों को गंभीरता से नहीं लेते और इसीलिए उन्हें ठगना आसान हो जाता है। लिंक पर क्लिक करते ही उनके फोन में रिमोट एक्सेस एप डाउनलोड हो जाता है, जो उनके बैंक, यूपीआई और पासवर्ड्स तक पहुंच बना लेता है।

जरूरत है कि मोबाइल कंपनियों पर सख्त निगरानी हो, हर संदिग्ध मैसेज को रोकने की व्यवस्था हो, और आम लोगों को हर स्तर पर तकनीकी सतर्कता सिखाई जाए। नहीं तो मुफ्त की बिजली का सपना देखते-देखते लोग अपने बैंक खातों को ही खाली पाएं।

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