नई दिल्ली : बैंकों में पड़े 67 हजार करोड़ बिना दावेदार के, सबसे ज्यादा SBI में जमा

- नई दिल्ली : हैरानी की बात ये है कि यह धनराशि सरकारी बैंकों के पास है और करोड़ों लोग आर्थिक तंगी और महंगाई से जूझ रहे हैं
Khabari Chiraiya Desk : देश में जब लाखों लोग महंगाई और बेरोजगारी के बीच दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वह भी जब बैंकों में एक ऐसी मोटी रकम वर्षों से बेकार पड़ी है, जिस पर न कोई दावा ठोक रहा है, न ही कोई लाभार्थी सामने आ रहा है। संसद में दी गई ताजा जानकारी के मुताबिक, देश के बैंकों में 30 जून 2025 तक कुल 67,003 करोड़ रुपये की राशि अनक्लेम्ड डिपॉजिट के रूप में दर्ज है। ये वो जमा हैं, जिनका कोई दावा करने वाला सामने नहीं आया।
यह चौंकाने वाली जानकारी वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में दी। उन्होंने बताया कि इस अनक्लेम्ड डिपॉजिट में सबसे बड़ी हिस्सेदारी सरकारी बैंकों की है, जिनके पास कुल राशि का 87 फीसदी हिस्सा यानी 58,330 करोड़ रुपये से ज्यादा जमा है। वहीं, निजी बैंकों में भी 8,673 करोड़ रुपये की राशि दावेदारों के बिना पड़ी हुई है।
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सबसे ज्यादा पैसा SBI के पास
इस विशाल राशि का लगभग 29 फीसदी हिस्सा सिर्फ भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के पास जमा है। अकेले एसबीआई के पास 19,329.92 करोड़ रुपये पड़े हैं, जिनका कोई दावेदार नहीं है। इसके बाद पंजाब नेशनल बैंक (PNB) का नंबर आता है, जिसके पास 6,910.67 करोड़ रुपये यूं ही बेकार पड़े हैं। इसी सूची में केनरा बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं, जिनके पास क्रमश: 6,278.14 करोड़ रुपये और 5,277.36 करोड़ रुपये हैं।
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निजी बैंक भी पीछे नहीं
हालांकि सरकारी बैंकों के मुकाबले निजी बैंकों में यह राशि कम है, लेकिन आंकड़े फिर भी हैरान कर देने वाले हैं। ICICI बैंक में सबसे ज्यादा 2,063.45 करोड़ रुपये, HDFC बैंक में 1,609.56 करोड़ रुपये और Axis बैंक में 1,360.16 करोड़ रुपये बिना किसी दावे के जमा हैं।
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ये पैसा कहां से आता है?
बिना दावे वाली राशि आम तौर पर उन खातों से होती है जो कई सालों तक निष्क्रिय रहे हों, या जिन खाताधारकों की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी सामने नहीं आए हों। कुछ मामलों में, लोग खाता खुलवाने के बाद भूल जाते हैं या बैंक जानकारी के अभाव में लाभार्थियों तक नहीं पहुंच पाता।
सरकार क्या कर रही है?
आरबीआई पहले ही Unclaimed Deposits Portal की शुरुआत कर चुका है, जहां कोई भी व्यक्ति अपने या अपने परिवार के सदस्य के नाम से बिना दावे की राशि की जानकारी प्राप्त कर सकता है। बावजूद इसके, करोड़ों रुपये आज भी बैंकिंग सिस्टम में निष्क्रिय पड़े हैं।
एक तरफ भूख, दूसरी तरफ जमा पूंजी बेकार
यह विडंबना है कि एक ओर देश में करोड़ों लोग इलाज, पढ़ाई और रोजमर्रा की जरूरतों के लिए पैसों के मोहताज हैं, वहीं दूसरी ओर इतनी बड़ी रकम सिर्फ इसलिए पड़ी है क्योंकि लोगों को जानकारी नहीं है या व्यवस्था में पारदर्शिता की कमी है। सवाल यह है कि क्या सरकार और बैंक इस पैसे को असली हकदारों तक पहुंचाने की कोई ठोस पहल करेंगे?
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