August 1, 2025

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बिहार : पूर्वी चंपारण में पशु शेड घोटाले से मचा हड़कंप, अफसरों-कर्मियों पर गिरी गाज

  •  जांच में कई योजनाओं को सिर्फ कागजों पर पूरा दिखाया गया, जबकि जमीन पर एक भी ईंट नहीं रखी गई थी

Khabari Chiraiya Desk : पूर्वी चंपारण में गरीबों की भलाई के लिए चलाई जा रही मनरेगा योजना पर एक बार फिर भ्रष्टाचार का साया गहरा गया है। जिले के हरसिद्धि प्रखंड में पशु शेड निर्माण कार्यों के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें लाखों रुपये बिना काम किए ही निकाल लिए गए। वर्षों से कागजों पर निर्माण दिखाकर शासन को गुमराह किया गया और आमजन के हक पर सीधा डाका डाला गया।

इस पूरे घोटाले की जांच जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल के निर्देश पर उप विकास आयुक्त डॉ. प्रदीप कुमार ने की। जांच के दौरान यह सामने आया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 में मनरेगा के तहत मानिकपुर पंचायत में पशु शेड निर्माण के लिए आवंटित की गई राशि का दुरुपयोग हुआ। कई योजनाएं तो सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहीं, जमीन पर एक भी निर्माण कार्य नहीं हुआ।

इस घोटाले का मुख्य अभियुक्त तत्कालीन पंचायत रोजगार सेवक राजेश कुमार को पाया गया है। राजेश कुमार पर पशु शेड निर्माण के बिना ही भुगतान उठा लेने, जरूरी दस्तावेज़ न देने, पूछे गए स्पष्टीकरण का जवाब न देने और बिना छुट्टी के लंबे समय तक अनुपस्थित रहने जैसे गंभीर आरोप हैं। इन आरोपों के आधार पर उन्हें तत्काल प्रभाव से सेवा से चयनमुक्त कर दिया गया है।

जांच रिपोर्ट में बताया गया कि चार योजनाओं में पूरी तरह से फर्जीवाड़ा हुआ। स्थल पर एक भी निर्माण नहीं मिला, जबकि फंड पूरी तरह से खर्च दिखाया गया। इस घोटाले में कुल ₹5,57,255 की राशि की वसूली का आदेश दिया गया है, जिसे अलग-अलग दोषियों से वसूला जाएगा। राजेश कुमार से कुल वसूली का 25 प्रतिशत यानी ₹1,39,313.75, लेखापाल शाहजाद अली से 5 प्रतिशत यानी ₹27,862.75, तकनीकी सहायक दिग्विजय कुमार और कनीय अभियंता जितेन्द्र कुमार से 20-20 प्रतिशत यानी ₹1,11,451-₹1,11,451, पूर्व मुखिया से भी ₹1,11,451 और कार्यक्रम पदाधिकारी शीलभूषण से 10 प्रतिशत यानी ₹55,725.50 वसूले जाएंगे।

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वित्तीय वसूली के साथ-साथ दोषी कर्मियों पर प्रशासनिक कार्रवाई भी की गई है। राजेश कुमार को सेवा से बाहर कर दिया गया है। शीलभूषण और जितेंद्र कुमार की तीन वार्षिक वेतनवृद्धियों को रोका गया है। दिग्विजय कुमार के मानदेय में तीन साल तक 25 प्रतिशत की कटौती की जाएगी। शाहजाद अली के वेतन में दो साल तक 15 प्रतिशत की कटौती होगी, जबकि जितेंद्र कुमार (ओलहों मेहता टोला) और धर्मेंद्र कुमार (पकड़िया) के वेतन में दो साल तक 10 प्रतिशत की कटौती लागू की गई है।

प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भविष्य में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी पर इसी तरह की कठोर कार्रवाई की जाएगी। भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति को लागू करते हुए एक बड़ा उदाहरण पेश किया गया है।

हालांकि दोषी पाए गए सभी कर्मचारियों और पदाधिकारियों को अपील का अधिकार दिया गया है। वे 30 दिनों के भीतर जिलाधिकारी के समक्ष अपील कर सकते हैं। लेकिन प्रशासन के रुख को देखते हुए राहत की उम्मीद बेहद कम है।

पूर्वी चंपारण में उजागर हुआ यह घोटाला न सिर्फ स्थानीय प्रशासन की सख्ती का उदाहरण है, बल्कि यह चेतावनी भी है कि अब जनता की गाढ़ी कमाई से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

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