पंजाब : मानसा में इलाज से इनकार कर दो बेसहारा बीमार व्यक्तियों को सरकारी अस्पताल से दूर ले जाकर छोड़ दिया गया, एक की मौत

पंजाब के मानसा जिले में मानवता को शर्मसार करने वाला मामला उजागर हुआ है, एक की मौत के बाद मामला सोशल मीडिया पर छाया
तरसेम सिंह फरंड, मानसा (पंजाब)
पंजाब के मानसा जिले एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यह जिले के फरवाड़ गांव से जुड़ा बताया जा रहा है। बताया गया कि यहां स्थानीय समाजसेवी संस्था ने दो बीमार बेसहारा व्यक्तियों को सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचाया। संस्था के सदस्यों के जाने के बाद सरकारी अस्पताल में जो हुआ वह मानवता को शर्मशार करने वाली है। वह यह कि उस अस्पताल में उन दो बीमार व्यक्तियों का न सिर्फ इलाज करने से इनकार कर दिया गया, बल्कि उन्हें शहर से दूर ले जाकर छोड़ दिया गया। इस अमानवीयता का परिणाम यह हुआ कि उनमें से एक की मौत हो गई।
खबर के मुताबिक बताया जाता कि यह घटना कुछ माह पुरानी है, लेकिन हाल ही में सोशल मीडिया के माध्यम से जब यह मामला उजागर हुआ तो लोगों में गुस्सा फैल गया। बताया गया कि दोनों व्यक्ति अति बीमार अवस्था में थे, जिन्हें स्थानीय समाजसेवी संस्था के लोग अस्पताल लेकर पहुंचे थे। लेकिन वहां ना केवल उन्हें भर्ती करने से इनकार कर दिया गया, बल्कि संस्था के लोगों के जाते ही अस्पताल ने उन्हें ठिकाने लगाने की योजना बना ली।
चश्मदीदों के अनुसार, अस्पताल के किसी कर्मचारी की सलाह पर दोनों बीमारों को एकांत स्थान पर छोड़ दिया गया। इस अमानवीयता पर जब समाजसेवी संस्था को जानकारी मिली, तो उन्होंने डॉक्टरों और स्टाफ के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इसी दौरान एक बीमार व्यक्ति की मौत हो गई। हैरानी की बात यह है कि तत्काल किसी भी प्रकार की प्रशासनिक कार्रवाई करने की जगह मामले को दबाने की कोशिश तेज हो गई।
हालांकि अब सोशल मीडिया पर यह मामला आग की तरह फैल गया है। इस प्रकरण को उजागर करने वाले एक सोशल मीडिया कार्यकर्ता के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है। इस घटनाक्रम ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है और लोग इस बात को लेकर चर्चा कर रहे हैं कि कार्रवाई उस कार्यकर्ता पर होगी, जिसने अन्याय को उजागर किया या फिर उन लोगों पर होगी जिनकी लापरवाही से एक बेसहारा बीमार व्यक्ति की जान चली गई।
समाजसेवी संस्थाओं और स्थानीय लोगों ने इस मामले की गहन जांच की मांग की है। उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और पंजाब मानवाधिकार आयोग से स्वतः संज्ञान लेने की अपील की है। अब सवाल उठता है कि क्या इस मामले में इंसाफ होगा या यह भी बाकी मामलों की तरह फाइलों में दफन रह जाएगा…?
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