August 5, 2025

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राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड ने दो अहम समझौतों पर किए हस्ताक्षर

राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड

औषधीय पौधों के जर्मप्लाज्म को संरक्षित करने की दिशा में बड़ा कदम। एम्स परिसर में बनेगा राष्ट्रीय औषधीय पौध उद्यान

Khabari Chiraiya Desk नई दिल्ली : औषधीय पौधों की विरासत को बचाने और जन-जागरूकता को नई दिशा देने की दिशा में आयुष मंत्रालय ने सोमवार को दो ऐतिहासिक कदम उठाए। आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत, राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (एनएमपीबी) ने दो महत्त्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों (MoU) पर हस्ताक्षर किए, जो दुर्लभ और संकटग्रस्त औषधीय पौधों के संरक्षण और एम्स परिसर में राष्ट्रीय औषधीय पौध उद्यान की स्थापना से जुड़े हैं।

नई दिल्ली स्थित निर्माण भवन में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) व स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने की। इस दौरान उन्होंने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर और स्वस्थ भारत के दृष्टिकोण की दिशा में एक मजबूत कदम बताया।

औषधीय पौधों की विरासत को वैज्ञानिक पद्धति से मिलेगा संबल

पहला समझौता पुणे स्थित ईश वेद-बायोप्लांट्स वेंचर और एनएमपीबी के बीच हुआ। इसका उद्देश्य ऊतक संवर्धन तकनीक के माध्यम से उन औषधीय पौधों के जर्मप्लाज्म का संरक्षण है जो दुर्लभ, संकटग्रस्त या लुप्तप्राय की श्रेणी में आते हैं। इससे न केवल पारंपरिक आयुष चिकित्सा प्रणाली को मजबूती मिलेगी, बल्कि इन पौधों की औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखला को भी सुदृढ़ किया जा सकेगा।

इस समझौते से आयुष उद्योग को ऊतक संवर्धन आधारित खेती व अनुसंधान में सहयोग मिलेगा और जड़ी-बूटी उत्पादकों से लेकर निर्माताओं तक को बेहतर गुणवत्ता वाले पौधे सुलभ होंगे।

एम्स परिसर में स्थापित होगा राष्ट्रीय औषधीय पौध उद्यान

दूसरा समझौता एनएमपीबी, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA), और एम्स, नई दिल्ली के बीच त्रिपक्षीय रूप से हुआ। इसके तहत एम्स परिसर में औषधीय पौध उद्यान की स्थापना की जाएगी, जहां दुर्लभ औषधीय पौधों को वैज्ञानिक ढंग से संरक्षित और प्रदर्शित किया जाएगा। इससे अस्पताल परिसर में आने वाले मरीज, छात्र और आगंतुकों में औषधीय पौधों के प्रति जागरूकता फैलेगी और आयुर्वेद की स्वीकार्यता बढ़ेगी।

मंत्री प्रतापराव जाधव ने जताया संतोष

इस अवसर पर मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा, “2047 तक एक स्वस्थ और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का जो सपना प्रधानमंत्री ने देखा है, यह पहल उस दिशा में सार्थक प्रगति है। पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान से जोड़ना हमारी जिम्मेदारी है, और इन समझौता ज्ञापनों से यह कार्य और प्रभावशाली होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि यह पहल औषधीय पौधों पर साक्ष्य आधारित अनुसंधान और जनभागीदारी को मजबूती देगी।

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