झारखंड राज्य निर्माण के शिल्पकार शिबू सोरेन नहीं रहे

81 वर्ष की आयु में निधन, दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में ली अंतिम सांस, झारखंड में सात दिन का राजकीय शोक, अंतिम संस्कार आज नेमरा में
Khabari Chiraiya Desk : झारखंड की राजनीति और सामाजिक चेतना का एक चमकता सितारा हमेशा के लिए अस्त हो गया। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड आंदोलन के महानायक शिबू सोरेन का रविवार रात दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया। वह लंबे समय से किडनी की समस्या से जूझ रहे थे और करीब डेढ़ महीने से अस्पताल में भर्ती थे।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर पिता के निधन की जानकारी साझा करते हुए लिखा, “आज मैं खाली हाथ हूं। गुरुजी ने सामाजिक न्याय के लिए जो लड़ाइयां लड़ीं, वे हमेशा प्रेरणा देती रहेंगी।” शिबू सोरेन के निधन के बाद पूरे झारखंड में शोक की लहर फैल गई है। उनके सम्मान में राज्य सरकार ने सात दिनों का राजकीय शोक घोषित किया है।
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आज अंतिम संस्कार, विधानसभा में होगा अंतिम दर्शन
सोमवार को गुरुजी का पार्थिव शरीर रांची लाया गया, जहां हजारों लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए उमड़े। मंगलवार को रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। नेमरा वही गांव है जहां 11 जनवरी 1944 को उनका जन्म हुआ था। यह गांव कभी अखंड बिहार के हजारीबाग जिले में आता था, जो अब रामगढ़ के गोला प्रखंड में है।
राजनीति में संघर्ष का दूसरा नाम थे ‘गुरुजी’
शिबू सोरेन का जीवन भारतीय राजनीति में संघर्ष, संकल्प और सिद्धांत का जीवंत उदाहरण रहा है। उनके पिता सोबरन मांझी की हत्या महाजनों ने की थी, जिससे आहत होकर उन्होंने मात्र 13 साल की उम्र में महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया था। यहीं से उनके सामाजिक नेतृत्व की नींव पड़ी।
1973 में उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की स्थापना की। इससे पहले वे सोनत संताली समाज बनाकर सामाजिक सुधार के कार्य कर रहे थे। उन्होंने गिरिडीह के टुंडी के पास पोखरिया में एक आश्रम भी बनाया था, जहां से शराबबंदी, शिक्षा और आदिवासी स्वावलंबन जैसे कई अभियानों का संचालन किया गया।
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40 वर्षों तक चला अलग राज्य का आंदोलन
झारखंड के जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए शिबू सोरेन ने कई आंदोलनों का नेतृत्व किया। धान कटनी आंदोलन से लेकर जंगलों और पहाड़ियों में जनचेतना फैलाने तक, उन्होंने सामाजिक न्याय की लड़ाई को हर स्तर पर मजबूती दी। इसी जमीनी आंदोलन का परिणाम रहा कि 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य का गठन हुआ और शिबू सोरेन इसके राजनीतिक स्तंभ बने।
उनकी लोकप्रियता इतनी थी कि एक आवाज पर पूरा झारखंड बंद हो जाता था। इंदिरा गांधी के समय में उन्हें “देखते ही गोली मारने” का आदेश तक दिया गया था, लेकिन शिबू सोरेन झुके नहीं। बाद में खुद इंदिरा गांधी ने उन्हें दिल्ली बुलाकर आदिवासी हित में काम करते रहने की सलाह दी थी।
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राजनीतिक सफर की अनगिनत उपलब्धियां
शिबू सोरेन ने 1980 में पहली बार दुमका लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद में प्रवेश किया। इसके बाद वे 1989, 1991, 1996, 2002, 2004, 2009 और 2014 में भी दुमका से सांसद चुने गए। राज्यसभा के लिए वे 1998, 2002 और 2020 में निर्वाचित हुए। वे केंद्र की यूपीए सरकार में दो बार कोयला मंत्री रहे और झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री भी। इसके अलावा वे 1995 में झारखंड एरिया ऑटोनोमस काउंसिल (JAC) के अध्यक्ष भी रहे।
झामुमो के संस्थापक अध्यक्ष, संरक्षक बनकर विदा
वर्ष 1987 से 2025 तक वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष रहे। इसी वर्ष उन्होंने यह जिम्मेदारी अपने पुत्र हेमंत सोरेन को सौंपी और स्वयं संरक्षक बने। झामुमो के केंद्रीय नेतृत्व में बदलाव के बाद भी वे पार्टी के सर्वोच्च मार्गदर्शक बने रहे।
आंदोलन और आरोपों से घिरा जीवन, लेकिन मिला न्याय
शिबू सोरेन का जीवन राजनीतिक आरोपों और अदालती लड़ाइयों से भी गुजरा। चाहे चिरुडीह हत्याकांड हो, शशिनाथ झा की हत्या का मामला हो या संसद में रिश्वत कांड…वह हर मुकदमे से बरी हुए और उनके समर्थकों ने इसे ‘सत्य की जीत’ माना। न्याय प्रणाली में उनका विश्वास अटूट था।
राष्ट्रस्तर पर शोक की लहर
उनके निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सहित देशभर के नेताओं ने श्रद्धांजलि दी है। झारखंड विधानसभा में दो मिनट का मौन रखा गया और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि “गुरुजी का जाना मेरे लिए निजी क्षति नहीं, पूरे झारखंड की क्षति है।”
एक युग का अंत, पर विचारों का अमर प्रवाह
शिबू सोरेन के विचार, संघर्ष और आंदोलन आज भी जीवंत हैं। उन्होंने आदिवासी समाज को न केवल नेतृत्व दिया, बल्कि उन्हें हक और सम्मान दिलाने का रास्ता भी दिखाया। उनका जाना केवल एक नेता की विदाई नहीं, एक युग का अवसान है। आने वाली पीढ़ियां उन्हें दिशोम गुरु, जननायक और झारखंड की आत्मा के रूप में याद रखेंगी।
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