देश में ई-कचरे और बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन के लिए नए सख्त नियम लागू

- नए प्रावधानों से प्रदूषण पर लगाम, अनौपचारिक क्षेत्र को औपचारिक ढांचे में लाने और रिसाइक्लिंग को बढ़ावा देने की योजना
Khabari Chiraiya Desk: देश में तेजी से बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक कचरे और बैटरी अपशिष्ट से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखते हुए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ और सीसी) ने नियमों में बड़ा बदलाव किया है। मंत्रालय ने नवंबर 2022 में ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2022 अधिसूचित किए, जो 1 अप्रैल 2023 से लागू हैं। इन नियमों में 106 तरह के इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल उपकरण शामिल हैं, जैसे मोबाइल फोन, कंप्यूटर, यूपीएस सिस्टम और अन्य उपकरण, जिन्हें पर्यावरण-अनुकूल तरीके से प्रबंधित करना अनिवार्य किया गया है।
इसी तरह 24 अगस्त 2022 को बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियम भी लागू किए गए, जिनमें सभी प्रकार की बैटरियां…इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी, पोर्टेबल बैटरी, ऑटोमोटिव बैटरी और औद्योगिक बैटरी शामिल हैं। इन नियमों के तहत सभी निर्माताओं, उत्पादकों और आयातकों को विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) के लक्ष्य दिए गए हैं, जिनके अंतर्गत उन्हें अपशिष्ट बैटरियों को एकत्र करना और उनका पुनर्चक्रण या नवीनीकरण करना जरूरी होगा। इन नियमों में लैंडफिल में अपशिष्ट बैटरियों के निपटान पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने इन नियमों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कई कदम उठाए हैं। एक केंद्रीकृत ऑनलाइन ईपीआर पोर्टल तैयार किया गया है, जिसमें उत्पादकों, निर्माताओं, रिफर्बिशरों और पुनर्चक्रणकर्ताओं का पंजीकरण अनिवार्य है। इस पोर्टल के माध्यम से ईपीआर प्रमाणपत्रों का आदान-प्रदान भी किया जाता है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि उत्पादक अपने ईपीआर दायित्व पूरे कर रहे हैं। साथ ही, सीपीसीबी ने ई-कचरे के वैज्ञानिक और पर्यावरण-अनुकूल प्रबंधन के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनमें आवश्यक मशीनरी, प्रदूषण नियंत्रण उपकरण और प्रक्रियाओं का ब्यौरा दिया गया है।
ई-कचरे के राष्ट्रीय स्तर पर उत्पादन का अनुमान लगाने के लिए सीपीसीबी देशभर में पंजीकृत उत्पादकों की बिक्री के आंकड़ों और सूचीबद्ध उपकरणों के औसत जीवनकाल का उपयोग करता है। आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में 12,54,286.55 टन और 2024-25 में 13,97,955.59 टन ई-कचरा उत्पन्न होने का अनुमान है। इस बढ़ते कचरे को नियंत्रित करने और सही तरीके से निपटाने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को विशेष जिम्मेदारी दी गई है।
इन नियमों में यह प्रावधान किया गया है कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और प्रदूषण नियंत्रण समितियां नियमित अभियान चलाकर अनौपचारिक क्षेत्र में ई-कचरा संभालने वालों की पहचान करें और उन्हें औपचारिक ढांचे में लाने में मदद करें। पंजीकृत संस्थाओं को त्रैमासिक और वार्षिक रिटर्न पोर्टल के माध्यम से जमा करना अनिवार्य है। इसके अलावा, नियमों के अनुपालन की पुष्टि के लिए सीपीसीबी या नामित एजेंसी द्वारा रैंडम निरीक्षण और ऑडिट किए जाएंगे।
उल्लंघन की स्थिति में पर्यावरण क्षतिपूर्ति (ईसी) लगाने का प्रावधान भी किया गया है। इसके लिए विशेष दिशानिर्देश विकसित किए गए हैं, ताकि किसी भी संस्था द्वारा नियमों या जारी निर्देशों का पालन न करने पर कार्रवाई की जा सके। मंत्रालय ने अलग-अलग तिथियों को राज्यों को निर्देश जारी किए हैं, जिनमें 6 सितंबर 2022 को अनौपचारिक गतिविधियों की जांच और अधिकृत इकाइयों का सत्यापन, 30 जनवरी 2024 को ई-कचरा ईपीआर पोर्टल पर पंजीकरण सुनिश्चित करने और 14 फरवरी 2024 को ईपीआर प्रमाणपत्रों का सृजन सुनिश्चित करने के आदेश शामिल हैं।
सरकार का मानना है कि इन नए नियमों से न केवल प्रदूषण कम होगा, बल्कि रिसाइक्लिंग उद्योग को संगठित रूप मिलेगा, संसाधनों का बेहतर पुन: उपयोग संभव होगा और देश में चक्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
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