October 21, 2025

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लाल किला से प्रधानमंत्री मोदी बोले-परमाणु धमकियों को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे

  • ब्लैकमेल नहीं सहा जाएगा, यदि दुश्मन भविष्य में ऐसी कोशिश जारी रखते हैं तो हमारी सशस्त्र सेनाएं लक्ष्य तय करेंगी और हम उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित करेंगे

Khabari Chiraiya Desk : लाल किले से अपने लगातार बारहवें संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा विज़न रखा जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा के केंद्र में परमाणु प्रतिरोध, संसाधनों पर अबाध अधिकार, युवाओं के लिए बड़े अवसर और तकनीक–उद्योग की तेज़ रफ्तार आत्मनिर्भरता एक साथ दिखाई दी। संदेश साफ था-भारत अब दबाव की राजनीति नहीं मानेगा, अपने जल और ऊर्जा पर पूरा हक सुनिश्चित करेगा और 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य को क्रियान्वयन की गति देगा।

प्रधानमंत्री ने आरंभ में ही यह स्पष्ट कर दिया कि किसी भी तरह का परमाणु दबाव या धमकी स्वीकार्य नहीं है। यह रुख केवल सुरक्षा का वक्तव्य नहीं, बल्कि भारत की सामरिक स्वायत्तता की पुनर्पुष्टि है। इसी धारा में जल कूटनीति पर भी सख्त संकेत दिए गए कि अब भारतीय नदियों का जल शत्रु भूभाग को हराभरा करने के बजाय हिंदुस्तान के खेतों को सींचेगा और किसानों के अधिकार को प्राथमिकता मिलेगी। संदेश यह भी था कि सिंधु जल संधि के पूर्ववर्ती ढांचे पर भारत की सहमति नहीं मानी जा सकती और राष्ट्रीय हित के अनुरूप पुनर्संतुलन अपरिहार्य है।

युवाओं के मोर्चे पर प्रधानमंत्री ने एक लाख करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की घोषणा के साथ ‘प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना’ शुरू करने की सूचना दी। योजना के अनुसार निजी क्षेत्र में पहली बार नौकरी पाने वाले युवाओं को पंद्रह हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यह कदम औपचारिक रोज़गार में प्रवेश के शुरुआती व्यय और मनोवैज्ञानिक बाधाओं…दोनों को कम करने की रणनीति के रूप में सामने आया, ताकि कौशल से करियर तक की यात्रा तेज़ हो।

रक्षा और अत्याधुनिक तकनीक के क्षेत्र में प्रधानमंत्री ने स्वदेशी जेट इंजन को राष्ट्रीय प्राथमिकता बताया। युवा वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, पेशेवरों और सभी संबंधित सरकारी विभागों से उन्होंने आह्वान किया कि ‘मेड इन इंडिया’ लड़ाकू विमानों के लिए भारत का अपना जेट इंजन अब लक्ष्य नहीं, समयबद्ध परियोजना बने। यह पहल केवल आयात प्रतिस्थापन नहीं, बल्कि उच्च–प्रौद्योगिकी विनिर्माण, बौद्धिक संपदा और वैश्विक आपूर्ति शृंखला में भारत की उन्नत भूमिका का द्वार खोलती है।

आर्थिक रणनीति में प्रधानमंत्री ने ‘वोकल फॉर लोकल’ को नागरिक–आंदोलन के रूप में सामने रखा। उन्होंने कहा कि आने वाला युग इलेक्ट्रिक वाहनों का है, इसलिए “दाम कम, दम ज़्यादा” का सूत्र उद्योग को अपनाना होगा अर्थात उत्पादन–लागत घटे, प्रदर्शन और गुणवत्ता बढ़े। यह आग्रह केवल उपभोक्ता लाभ के लिए नहीं, बल्कि प्रतिस्पर्धी लागत और नवाचार के ज़रिए भारत को ईवी विनिर्माण और ईको–सिस्टम का वैश्विक ठिकाना बनाने का प्रस्ताव है।

विजन–2047 के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत हर क्षेत्र में आधुनिक पारिस्थितिकी तंत्र गढ़ रहा है। ऐसा तंत्र जो बुनियादी ढांचे, कौशल, पूंजी और तकनीक को जोड़कर दीर्घकालिक आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करे। इस ढांचे की मजबूती ऊर्जा क्षेत्र के विस्तार से भी झलकी, जहां उन्होंने बताया कि देश परमाणु ऊर्जा क्षमता को दस गुना तक बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। दस नए न्यूक्लियर रिएक्टर निर्माणाधीन हैं और इस क्षेत्र में निजी भागीदारी के रास्ते खोले जा चुके हैं। इससे स्वच्छ, विश्वसनीय बेस–लोड बिजली का दीर्घकालिक आधार बनेगा और उद्योगों को प्रतिस्पर्धी ऊर्जा–लागत मिल सकेगी।

प्रधानमंत्री ने सेमीकंडक्टर मिशन की वर्तमान प्रगति भी सामने रखी। उनका कहना था कि जो पहल छह दशक पहले कागज़ों में अटकी रह गई, वह अब गति पकड़ चुकी है…छह इकाइयां तैयार हैं और चार और को मंजूरी मिल चुकी है। लक्ष्य यह है कि वर्ष के अंत तक भारत में डिज़ाइन और निर्मित चिप्स बाजार में उतरें। यह उपलब्धि इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो, एयरोस्पेस, दूरसंचार और रक्षा…सभी क्षेत्रों में घरेलू वैल्यू–ऐडिशन, सप्लाई सुरक्षा और निर्यात–क्षमता को नई ऊंचाई देगी।

प्रधानमंत्री का एक आग्रह सामाजिक–आर्थिक व्यवहार में बदलाव की ओर भी था…उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर बनने के लिए भारत को ‘सबसे अच्छा’ बनना होगा। यह किसी दल का एजेंडा नहीं, राष्ट्र का संकल्प है; इसलिए इन्फ्लुएंसर्स और नागरिक–समुदायों से भी उन्होंने सहभागी भूमिका निभाने को कहा।

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