भारतीय वैज्ञानिकों ने मानव शरीर में खोजा एंटीबॉडीज़ का नया रहस्य

- अब तक एंटीबॉडीज़ को केवल रासायनिक चाबी माना जाता था, लेकिन नया अध्ययन दिखाता है कि वे यांत्रिक इंजीनियर की तरह भी काम करते हैं
Khabari Chiraiya Desk: हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को हमेशा से रोगजनकों और विषाक्त पदार्थों से लड़ने वाली अदृश्य सेना माना जाता है। लेकिन अब भारतीय वैज्ञानिकों ने एंटीबॉडीज़ के एक नए आयाम का खुलासा किया है, जो हमारी समझ को बदल देता है। अब तक एंटीबॉडीज़ को केवल रासायनिक स्तर पर कार्य करने वाली चाबियां माना जाता था, परंतु हालिया शोध से यह साबित हुआ है कि वे अणुओं के भौतिक गुणों को भी बदल सकते हैं और एक सुरक्षा कवच का निर्माण करते हैं।
इस अध्ययन का केंद्र रहा IgM, जो सबसे बड़ा एंटीबॉडी है और संक्रमण की शुरुआती अवस्था में बनता है। एस.एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज़ के वैज्ञानिकों ने पाया कि IgM न सिर्फ रोगजनकों से जुड़ता है, बल्कि यह बैक्टीरिया द्वारा निर्मित टॉक्सिन्स को भी यांत्रिक रूप से स्थिर कर देता है। इससे ये टॉक्सिन्स हमारी कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने में असफल हो जाते हैं।
शोधकर्ताओं ने Finegoldia magna नामक बैक्टीरिया से निकलने वाले प्रोटीन L को चुना, जिसे सुपरएंटीजन कहा जाता है। सामान्यतः यह एंटीबॉडीज़ को भ्रमित करके प्रतिरक्षा प्रणाली को बाधित कर देता है। लेकिन जब IgM इससे जुड़ा, तो उसने प्रोटीन को इतना स्थिर कर दिया कि वह दबाव में टूट नहीं सका। यह स्थिरता सीधे तौर पर IgM की मात्रा पर निर्भर थी।
इस अध्ययन में सिंगल-मॉलेक्यूल फोर्स स्पेक्ट्रोस्कोपी जैसी अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया, जिससे वैज्ञानिकों ने अणुओं पर सूक्ष्म बल डालकर देखा कि वे तनाव में कैसे व्यवहार करते हैं। इसके साथ ही कंप्यूटर सिमुलेशन से भी पता चला कि IgM की कई binding sites प्रोटीन के अलग-अलग हिस्सों को एक साथ स्थिर कर सकती हैं, जबकि छोटे एंटीबॉडीज़ में यह क्षमता नहीं होती।
मानव शरीर में बैक्टीरिया लगातार यांत्रिक बलों का सामना करते हैं, खून के प्रवाह से लेकर प्रतिरक्षा कोशिकाओं के हमले तक। ऐसे में अगर IgM उन्हें और कठोर बना देता है, तो वे निष्क्रिय हो जाते हैं। यही कारण है कि यह खोज भविष्य में बैक्टीरियल संक्रमणों से लड़ने के लिए नई दवाओं और उपचार पद्धतियों का आधार बन सकती है।
इस शोध ने यह साफ कर दिया है कि एंटीबॉडीज़ केवल रासायनिक बाइंडर नहीं, बल्कि यांत्रिक मॉडुलेटर भी हैं। यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली की एक छिपी हुई लेकिन बेहद महत्वपूर्ण क्षमता है, जो आने वाले समय में चिकित्सा विज्ञान को एक नई दिशा दे सकती है।
यह भी पढ़ें… नई दिल्ली : राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 के लिए चयनित हुए 21 श्रेष्ठ शिक्षक
आगे की खबरों के लिए आप हमारी वेबसाइट पर बने रहें…