राहुल-तेजस्वी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ से गरमाया सियासी माहौल

- 2015 की तुलना में 2020 में जदयू के एनडीए में शामिल होने से गठबंधन को फायदा हुआ था, जबकि इस बार जन सुराज की वजह से वोट बैंक में सेंध लगने की आशंका
Khabari Chiraiya Desk : बिहार विधानसभा चुनाव की औपचारिक घोषणा से पहले ही मोतिहारी का सियासी पारा चढ़ने लगा है। बापू की कर्मभूमि चंपारण की धरती पर इस बार का चुनावी परिदृश्य पिछली बार से काफी अलग दिखाई दे रहा है। एनडीए, महागठबंधन और एक नई पार्टी, जन सुराज, के बीच त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना बन रही है। स्थानीय लोग इसे मज़ाक में “जन सुराख” कहकर पुकार रहे हैं, क्योंकि यह सभी स्थापित दलों के वोट बैंक में सेंध लगाती नज़र आ रही है। चुनाव की घोषणा से पहले ही सभी दल बूथ स्तर तक अपनी पकड़ मजबूत करने में जुट गए हैं। बैठकों का दौर तेज है, कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारियां दी जा रही हैं और सोशल मीडिया पर भी माहौल बनाने की कोशिशें जारी हैं।
‘वोटर अधिकार यात्रा’ बनी चर्चा का केंद्र
इस सरगर्मी को और बढ़ाने का काम राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ ने किया। ढाका से लेकर चिरैया और जिला मुख्यालय तक यह यात्रा एक बड़े उत्सव की तरह दिखी। रास्ते भर तोरणद्वार, बैनर-पोस्टर और सजावट ने माहौल को ‘बाराती जुलूस’ जैसा बना दिया। हालांकि, महागठबंधन के अन्य घटक जैसे सीपीआईएम और मुकेश साहनी की वीआईपी के बैनर बहुत कम दिखाई दिए। साफ था कि यात्रा का मुख्य चेहरा कांग्रेस और राजद ही थे।
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राहुल और तेजस्वी ने करीब नौ घंटे चंपारण में गुजारकर कार्यकर्ताओं और समर्थकों में नया जोश भरा। ढाका में पांच घंटे बिताने के बाद उन्होंने गांधी चौक पर विशाल जनसभा को संबोधित किया। यात्रा के दौरान जगह-जगह चाय-पानी के स्टॉल लगे थे। कांग्रेस और राजद नेताओं ने दावा किया कि यह यात्रा ऐतिहासिक रही और इससे जनता के बीच सकारात्मक संदेश गया है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष इंजीनियर शशि भूषण राय ने कहा कि इस यात्रा ने कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भर दी है और वे चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
चंपारण की चुनावी तस्वीर
चंपारण क्षेत्र की कुल 21 विधानसभा सीटें हैं। इनमें पूर्वी चंपारण की 12 और पश्चिमी चंपारण की 9 सीटें शामिल हैं। 2020 के चुनाव में एनडीए ने 17 सीटों पर कब्जा किया था। 2015 में जब जदयू एनडीए से अलग थी, तब भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा था। लेकिन 2020 में जदयू के फिर से एनडीए में आने के बाद भाजपा और जदयू दोनों को बढ़त मिली। भाजपा का वोट शेयर 23.5% से बढ़कर 25.8% हुआ, वहीं जदयू को 20.1% वोट मिले। इसके विपरीत, राजद और कांग्रेस का प्रदर्शन कमजोर हुआ।
जन सुराज की एंट्री से मुश्किल समीकरण
इस बार जन सुराज मैदान में है, जो पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाकर सभी बड़ी पार्टियों के लिए चुनौती बन गई है। कुल मिलाकर, मोतिहारी की चुनावी बिसात बिछ चुकी है और अब देखना दिलचस्प होगा कि इस सियासी शतरंज में आखिर बाजी किसके हाथ लगती है।
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