September 8, 2025

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तेजस्वी यादव के सवाल और भाजपा का पलटवार

तेजस्वी यादव
  • बिहार की प्रति व्यक्ति आय को अफ्रीकी देशों से भी कम बताकर तेजस्वी यादव ने सरकार की नाकामी उजागर की। भाजपा ने इसे भ्रामक करार देते हुए उन पर व्यक्तिगत कटाक्ष किए

Khabari Chiraiya Desk : बिहार की राजनीति एक बार फिर तीखी बयानबाज़ी की जंग का अखाड़ा बन गई है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने X हैंडल पर डबल इंजन सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि राज्य की प्रति व्यक्ति आय आज भी युगांडा और रवांडा जैसे अफ्रीकी देशों से भी कम है। उनके इस बयान ने सत्ता पक्ष को चुभा और भाजपा प्रवक्ता अजय आलोक ने पलटवार करते हुए तेजस्वी की पढ़ाई और समझदारी पर सवाल उठा दिए। राजनीति में यह तंज कोई नई बात नहीं, लेकिन इसमें छुपा सवाल गंभीर है-क्या बिहार वाकई अपनी आर्थिक स्थिति में पिछड़ रहा है?

तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी डबल इंजन सरकार जनता की बुनियादी समस्याओं को सुलझाने में विफल रही है। बेरोजगारी, पलायन, अपराध और गरीबी जैसी चुनौतियां अब भी जस की तस बनी हुई हैं। उन्होंने इस मुद्दे को राजनीतिक नारा नहीं, बल्कि राज्य की वास्तविकता बताया और सरकार से बारह सीधे सवाल पूछे। इन सवालों का मकसद केवल राजनीति करना नहीं बल्कि जनता की पीड़ा को सामने लाना था।

उधर, भाजपा की प्रतिक्रिया पूरी तरह रक्षात्मक रही। अजय आलोक ने कहा कि तेजस्वी यादव की बातों को गंभीरता से लेने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि वे खुद पढ़ाई में पिछड़े रहे हैं। साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि एनडीए सरकार के दौरान बिहार ने अभूतपूर्व प्रगति की है। उन्होंने बजट का हवाला देते हुए कहा कि राजद शासनकाल में जहां राज्य का बजट मात्र 23 हज़ार करोड़ रुपये था, वहीं आज यह 3 लाख 27 हज़ार करोड़ तक पहुंच चुका है। यह आंकड़ा विकास की कहानी कहता है।

लेकिन सवाल यह है कि क्या बजट का आकार बढ़ना ही विकास का पैमाना है? बजट तो बढ़ा, लेकिन क्या उसके लाभ का असर गांव-गांव तक पहुंचा? क्या पलायन करने वाले मज़दूरों को अपने ही राज्य में रोज़गार मिला? क्या अपराध के आंकड़े कम हुए? और क्या स्वास्थ्य-शिक्षा जैसी बुनियादी ज़रूरतों में सुधार हुआ?

तेजस्वी यादव के बयान में राजनीतिक निहितार्थ भले हों, लेकिन उनकी चिंता पूरी तरह निराधार नहीं कही जा सकती। वर्ल्ड बैंक और अन्य एजेंसियों की रिपोर्टों में बिहार को लंबे समय से देश के सबसे पिछड़े राज्यों में गिना गया है। प्रति व्यक्ति आय में भी बिहार हमेशा निचले पायदान पर रहता है। ऐसे में सरकार को विपक्ष की बातों को हल्के में लेने की बजाय उन पर आत्ममंथन करना चाहिए।

राजनीतिक कटाक्ष, व्यक्तिगत टिप्पणियां और बयानबाज़ी से तात्कालिक सुर्खियां तो बटोर ली जाती हैं, लेकिन इससे आम जनता के मुद्दे कहीं पीछे छूट जाते हैं। बिहार को विकास के असली पथ पर ले जाने के लिए आंकड़ों और आंकलनों पर ठोस काम ज़रूरी है। यदि विपक्ष सवाल उठा रहा है तो सरकार को उसका जवाब विकास की नीतियों और कार्यों से देना चाहिए, न कि व्यक्तिगत तंज से।

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