October 14, 2025

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अमेरिका में भारतीय का पहले सिर काटा, फिर उस पर लात मारी और कूड़ेदान में फेंका

 कर्नाटक के चंद्र नागमल्लैया की निर्मम हत्या ने भारतीय समुदाय को झकझोर दिया है, यह घटना बताती है कि छोटी-सी बात पर उग्र हिंसा का खतरा कितना बड़ा है

Khabari Chiraiya Desk : अमेरिका में एक भारतीय नागरिक चंद्र नागमल्लैया की निर्मम हत्या ने न केवल भारतीय समुदाय को, बल्कि पूरे विश्व को हिला दिया है। घटना डलास के एक मोटल में हुई, जहां नागमल्लैया को उनके ही एक कर्मचारी योर्डानिस कोबोस-मार्टिनेज ने बेदर्दी से मार डाला। कारण सुनकर और भी झटका लगता है, सिर्फ इसलिए कि नागमल्लैया ने टूटी वाशिंग मशीन का इस्तेमाल करने से मना किया और यह बात सीधे न कहकर अनुवाद के माध्यम से कही। इतनी छोटी-सी बात पर भड़क कर आरोपी ने नागमल्लैया पर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया।

हमले की क्रूरता सोचने पर मजबूर करती है। नागमल्लैया भागकर अपनी जान बचाने की कोशिश करते रहे, लेकिन आरोपी ने उन्हें पार्किंग में पकड़ लिया। उनकी पत्नी और बेटे ने भी आरोपी को रोकने की कोशिश की, लेकिन उन्हें धक्का देकर अलग कर दिया गया। उसके बाद जो हुआ वह इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला दृश्य था-आरोपी ने उनका सिर काट दिया, उस पर लात मारी और फिर कूड़ेदान में फेंक दिया।

इस घटना का सबसे भयावह पहलू यह है कि आरोपी का पहले से आपराधिक रिकॉर्ड रहा है। उस पर वाहन चोरी और हमले के कई मामले दर्ज थे। सवाल यह उठता है कि ऐसे व्यक्ति को सामान्य समाज में खुला घूमने का मौका क्यों मिला। क्या अमेरिकी न्याय व्यवस्था में इतनी कमजोरी है कि एक हिंसक अपराधी को बार-बार मौके मिलते रहें और आखिरकार वह किसी की जान ले ले?

यह मामला केवल अमेरिकी समाज की समस्या नहीं है। यह पूरी दुनिया के लिए चेतावनी है। जब गुस्सा, असहिष्णुता और हिंसक प्रवृत्तियां बिना रोक-टोक बढ़ती हैं, तो नतीजा यही होता है। हमें यह सोचना होगा कि क्या हम एक ऐसे समाज की ओर बढ़ रहे हैं, जहां किसी भी छोटी बात पर हिंसा को जायज ठहराया जाने लगे।

भारतीय समुदाय के लिए यह क्षण गहरे शोक और आक्रोश का है। चंद्र नागमल्लैया केवल एक व्यक्ति नहीं थे, वे प्रवासी भारतीयों की मेहनत, संघर्ष और सपनों का प्रतीक थे। भारतीय वाणिज्य दूतावास ने इस घटना पर दुख जताया है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। भारत सरकार को अमेरिकी प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग करनी चाहिए ताकि दोषी को कठोरतम सजा मिले।

साथ ही यह भी जरूरी है कि प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा को लेकर ठोस कदम उठाए जाएं। विदेशों में काम करने वाले भारतीय पहले से ही सांस्कृतिक चुनौतियों और सामाजिक असुरक्षाओं का सामना करते हैं। ऐसे में इस तरह की घटनाएं उनके मन में भय पैदा करती हैं और उनके जीवन को असुरक्षित बनाती हैं।

अंततः यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि समाज में मानसिक स्वास्थ्य और क्रोध नियंत्रण पर कितनी गंभीरता से काम किया जा रहा है। एक सामान्य विवाद इस हद तक न बढ़े कि इंसानियत का सिर कलम हो जाए। हमें कानून व्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ ऐसे कार्यक्रमों की भी आवश्यकता है जो लोगों को धैर्य, सहिष्णुता और संवेदनशीलता सिखाएं।

यह सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि उस सामाजिक विफलता की कहानी है जो हमें चेतावनी दे रही है कि अगर हमने अब भी सबक नहीं लिया तो कल कोई और चंद्र नागमल्लैया इस हैवानियत का शिकार होगा। समाज और सरकार दोनों को इस पर गहराई से विचार करना होगा और ठोस कदम उठाने होंगे।

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