सरेंडर की राह पर माओवादी संगठन
- गृह मंत्री अमित शाह ने चेताया था कि सरेंडर करो वरना समाप्त कर दिए जाओगे, यह घटनाक्रम नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक मोड़ माना जा रहा है
Khabari Chiraiya Desk दिल्ली : भारत वर्षों से माओवादी हिंसा का सामना कर रहा था, लेकिन 2025 में हालात तेजी से बदले। अप्रैल में शुरू हुए ऑपरेशन कगार ने लाल आतंक को बड़ा झटका दिया। छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर लगातार हुई कार्रवाइयों में कई बड़े कमांडर मारे गए। मई में गुंडेकोटा मुठभेड़ में बसवराज समेत 28 माओवादी ढेर हुए। लगातार होती इन कार्रवाइयों ने माओवादी संगठन की रीढ़ तोड़ दी।
सीपीआई (माओवादी) के आधिकारिक प्रवक्ता अभय ने 15 अगस्त 2025 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर बिना शर्त हथियार डालने और अस्थायी युद्धविराम की बात कही। अभय ने सरकार से एक महीने का समय मांगा ताकि अपने कैडर से सलाह कर अंतिम निर्णय ले सकें। यह पत्र छत्तीसगढ़ के पत्रकारों को सौंपा गया और तेजी से राष्ट्रीय चर्चा का विषय बन गया।
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सरकार का सख्त रुख
गृह मंत्री अमित शाह पहले ही साफ कर चुके थे कि 2026 तक भारत को नक्सल मुक्त बनाया जाएगा। दंतेवाड़ा में उन्होंने माओवादियों को चेतावनी दी थी कि हथियार डालो या खत्म हो जाओ। साथ ही जो गांव सरेंडर करेंगे उन्हें 1 करोड़ रुपये का विकास फंड देने का वादा किया गया। इस नीति के असर से 2025 में अब तक 521 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं।
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नक्सलवाद पर निर्णायक चोट
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटनाक्रम भारत में नक्सलवाद के खिलाफ सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है। यदि माओवादी संगठन वास्तव में शांति वार्ता में शामिल होता है, तो दशकों से लाल आतंक से जूझ रहे इलाकों में विकास की नई सुबह हो सकती है।
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