मोतिहारी में पांच विदेशी नागरिकों से फर्जी भारतीय आधार कार्ड बरामद

सुरक्षा पर सवाल : फर्जी आधार कार्ड की बरामदगी महज एक अपराध की खबर नहीं है, यह हमारी पहचान प्रणाली और सुरक्षा तंत्र के छिद्रों का सार्वजनिक पर्दाफाश है
नीरज कुमार, पूर्वी चंपारण (बिहार)
आखिर यह फर्जी आधार कार्ड बना कैसे? यह सवाल मोतिहारी की घटना के बाद पूरे देश में गूंज रहा है। पांच विदेशी नागरिकों के पास से जब भारतीय आधार कार्ड बरामद हुए तो यह साफ हो गया कि हमारी पहचान प्रणाली और निगरानी तंत्र में गंभीर कमियां हैं। हम चाहे जितनी भी हाई-टेक सुरक्षा पर गर्व करें, लेकिन यदि एक विदेशी नागरिक थोड़े पैसे में भारतीय आधार बनवा सकता है तो खतरा हमारी सोच से भी ज्यादा गहरा है।
इस घटना में विदेशी नागरिक सिर्फ आधी कहानी हैं। असल गुनहगार वे हैं जिन्होंने पैसे के लालच में यह फर्जीवाड़ा संभव किया। घोड़ासहन में एसएसबी और पुलिस की छापेमारी में पकड़े गए अहमद मोहम्मद, मोहम्मद अहमद, ओसमान अलबिद, मोहम्मद कामिल (सूडान) और मिगुल सोलोनो चाबेज (बोलीविया) से पांच स्मार्टफोन, नकदी, नेपाली सिम और धार्मिक पुस्तकें बरामद हुईं। लेकिन सबसे खतरनाक बात थी कि इनके पास फर्जी भारतीय आधार कार्ड थे।
यह केवल एक आपराधिक मामला नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय चेतावनी है। यदि हमारे नागरिक, चाहे वह आधार केंद्र का ऑपरेटर हो या स्थानीय सिफारिश देने वाला, पैसे लेकर किसी विदेशी को भारतीय पहचान दे रहे हैं तो यह राष्ट्रहित के साथ सीधा विश्वासघात है। ऐसे लोग सिर्फ कानून नहीं तोड़ते, बल्कि देश की सुरक्षा पर बारूद रख देते हैं।
यहां पुलिस और जांच एजेंसियों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। सिर्फ इन विदेशी नागरिकों को जेल भेजना काफी नहीं है। पुलिस को गंभीर पूछताछ करनी चाहिए कि उन्होंने ये आधार कार्ड कहां और किसके जरिए बनवाए। जिस भी व्यक्ति, एजेंट या केंद्र का नाम इसमें आए, उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। जब तक ऐसे लोगों को उदाहरण बनाकर सज़ा नहीं दी जाएगी, यह गोरखधंधा चलता रहेगा।
यह रैकेट कितना व्यापक है, यह भी समझना होगा। क्या यह केवल मोतिहारी और सीमावर्ती गांवों तक सीमित है या पूरे देश में फैला है? यदि यह गिरोह आधार कार्ड जैसे संवेदनशील दस्तावेजों में सेंध लगा सकता है तो कल पासपोर्ट या मतदाता पहचान पत्र में सेंध लगाने से कौन रोक सकता है?
सरकार को आधार निर्माण प्रक्रिया की ऑडिटिंग करानी चाहिए, आधार केंद्रों की निगरानी बढ़ानी चाहिए और हर स्तर पर बायोमेट्रिक सत्यापन को अनिवार्य बनाना चाहिए। डिजिटल लॉग का क्रॉस-वेरिफिकेशन और संदिग्ध दस्तावेज़ पर त्वरित FIR की व्यवस्था तत्काल लागू होनी चाहिए।
मोतिहारी की यह घटना एक गहरी चेतावनी है। यह बताती है कि हमें केवल सीमाओं की सुरक्षा नहीं करनी है, बल्कि पहचान सुरक्षा पर भी उतना ही ध्यान देना है। क्योंकि सीमा पर तैनात जवान दुश्मन को रोक सकते हैं, लेकिन अगर हम अपने ही घर में पहचान बेच रहे हैं तो खतरे की घड़ी पहले ही बज चुकी है। यह घटना केवल पांच विदेशियों की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि हमारी लापरवाही पर लिखा गया एक संदेश है और इसे नजरअंदाज करने की गलती नहीं करनी चाहिए।
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