December 22, 2025

खबरी चिरईया

नजर हर खबर पर

पीएम स्मृति चिन्ह नीलामी में पूर्वी भारत की संस्कृति की झलक

स्मृति चिन्ह
  • झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ की पारंपरिक कलाकृतियां इस बार नीलामी का आकर्षण बनीं

Khabari Chiraiya Desk नई दिल्ली : भारत की सांस्कृतिक विविधता और परंपराओं को करीब से महसूस करने का सुनहरा मौका आ गया है। प्रधानमंत्री स्मृति चिन्ह ई-नीलामी 2025 शुरू हो चुकी है, जिसमें झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ की दुर्लभ कलाकृतियां ऑनलाइन प्रदर्शित की जा रही हैं। यह नीलामी न सिर्फ कला-प्रेमियों को अनूठे स्मृति चिन्ह अपने पास रखने का अवसर देती है बल्कि गंगा नदी के पुनरुद्धार और संरक्षण के लिए चल रही नमामि गंगे परियोजना को भी नई गति प्रदान करती है। नागरिक 2 अक्टूबर, 2025 तक pmmementos.gov.in पर अपनी बोली लगा सकते हैं।

जनजातीय गौरव और पारंपरिक धरोहर की झलक

झारखंड की 27 चयनित कलाकृतियां राज्य की आदिवासी संस्कृति और आध्यात्मिक परंपराओं का उत्सव मनाती हैं। बिरसा मुंडा के प्रेरक स्मृति चिन्ह से लेकर मेदिनीनगर के नगर निगम द्वारा प्रस्तुत भगवान राम के दीप्तिमान स्मृति चिन्ह तक, हर वस्तु क्षेत्रीय पहचान और लचीलेपन को दर्शाती है। बीरू पगड़ी और संताली जैकेट आदिवासी एकता और सौंदर्य का प्रतीक बनकर संग्रह का आकर्षण बढ़ाती हैं।

ओडिशा की कला-पट्टचित्र से नवगुंजारा तक

ओडिशा से आई 21 कलाकृतियां राज्य की मशहूर हस्तशिल्प और वस्त्र परंपराओं का जीवंत परिचय कराती हैं। पट्टचित्र कला में राधा-कृष्ण और गणेश की कथाएं प्राकृतिक रंगों में जीवंत हो उठती हैं। रजत मयूर स्मृति चिन्ह ओडिशा की प्रसिद्ध फिलिग्री कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। वहीं, टसर सिल्क पर नवगुंजारा की पेंटिंग पौराणिक कथाओं और बुनाई कौशल का शानदार मिश्रण है।

छत्तीसगढ़ की रहस्यमयी धरोहर

छत्तीसगढ़ की 16 कलाकृतियां प्राचीन शिल्प और सामुदायिक परंपराओं की झलक पेश करती हैं। ढोकरा धातु कला में बनी “संगीतकार” और हाथी के सिर वाली नंदी प्रतिमा कला प्रेमियों के लिए दुर्लभ संग्रह का हिस्सा हैं। आदिवासी नर्तकों की प्रतिमा पारंपरिक नृत्य मंडली की ऊर्जा, सामंजस्य और उत्सव को कांस्य में सजीव कर देती है।

कला के साथ राष्ट्रसेवा का अवसर

वर्ष 2019 से आयोजित हो रही इस नीलामी का उद्देश्य केवल स्मृति चिन्हों को संग्रहित करना नहीं बल्कि गंगा नदी के पुनरुद्धार में योगदान देना है। इस वर्ष 1,300 से अधिक वस्तुएं नीलामी में शामिल हैं, जिनमें पेंटिंग, हस्तशिल्प, आदिवासी कलाएं और खेल स्मृति चिन्ह शामिल हैं। विजेता बोलियां सीधे नमामि गंगे परियोजना के लिए फंड जुटाती हैं, जिससे यह आयोजन एक सांस्कृतिक उत्सव के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी का प्रतीक बन जाता है।

यह भी पढ़ें… बिहार को मिली बड़ी सौगात एनएच-139W बनेगा चार लेन

यह भी पढ़ें… वसंत कुंज आश्रम में छात्राओं से छेड़छाड़ का खुलासा, प्रबंधक फरार

यह भी पढ़ें… पटना के सदाक़त आश्रम में CWC की बैठक से कांग्रेस ने भरी हुंकार

यह भी पढ़ें… एनडीए का चुनावी बिगुल, ‘भूलिएगा नहीं, हम सब लोगों के लिए काम किए हैं’

आगे की खबरों के लिए आप हमारी वेबसाइट पर बने रहें…

error: Content is protected !!