कृत्रिम बारिश से दिल्ली को मिलेगी जहरीली हवा से राहत

- सरकार ने नॉर्थ दिल्ली में दो महीने का ट्रायल तय किया है। रसायन से तैयार किए गए बादल बारिश कर प्रदूषण के कण नीचे गिराएंगे। पिछली असफल कोशिशों के बाद यह राजधानी की सबसे बड़ी पर्यावरण पहल मानी जा रही है
Khabari Chiraiya Desk: राजधानी में हर साल सर्दियों में लौटने वाला स्मॉग और खतरनाक प्रदूषण अब सरकार के लिए चुनौती नहीं, बल्कि मिशन बन गया है। इस बार सरकार ने राहत के लिए सबसे बड़ा और अनोखा दांव खेला है-कृत्रिम बारिश। अक्टूबर और नवंबर के दो महीनों तक आसमान से कृत्रिम बूंदें बरसाकर जहरीली हवा को जमीन पर गिराने की कोशिश होगी। यह कदम इसलिए भी खास है क्योंकि 2019 और 2022 की नाकाम कोशिशों के बाद पहली बार क्लाउड सीडिंग की औपचारिक मंजूरी मिल पाई है।
राजधानी में पहली बार क्लाउड सीडिंग
दिल्ली सरकार ने नॉर्थ दिल्ली में दो महीने का ट्रायल तय किया है। कानपुर की टीम तकनीकी मदद देगी और हिंडन एयरपोर्ट से सीसना 206-H विमान उड़ान भरकर बादलों में सिल्वर आयोडाइड और नमक जैसे एजेंट छोड़ेगा।
क्या है यह तकनीक
क्लाउड सीडिंग एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसमें बादलों को बारिश के लिए तैयार किया जाता है। सिल्वर आयोडाइड या ड्राई आइस बादलों की नमी को बढ़ाते हैं, जिससे वे भारी होकर बरसने लगते हैं। यह तभी कारगर है जब आसमान में पर्याप्त बादल मौजूद हों।
सुरक्षा और नियम
विमान को केवल ATC की अनुमति से उड़ान भरने की इजाजत होगी। पायलट के लिए मेडिकल फिटनेस और विशेष प्रशिक्षण अनिवार्य है। किसी नियम उल्लंघन पर अनुमति तत्काल रद्द की जा सकती है।
लागत और असर
इस प्रक्रिया पर प्रति बार 12 से 15 लाख रुपये का खर्च आता है और असर सिर्फ 4 से 10 दिन तक रहता है। मौसम का सही आकलन न होने पर बारिश गलत जगह भी हो सकती है।
पिछली कोशिशें और उम्मीद
दिल्ली में 2019 और 2022 में यह प्रयास असफल रहे थे। इस बार सरकार को उम्मीद है कि प्रदूषण की भयावह स्थिति में यह उपाय दिल्लीवासियों को तात्कालिक राहत देगा।
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