बिहार की जनता से पीएम मोदी ने की भावुक अपील, कहा-बिहार को फिर से डर और भ्रष्टाचार के दौर में न जाने दें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बिहार की जनता से कहा-राजद के दौर में जो भय था, उसे खत्म रखना हमारी जिम्मेदारी है, जनता को तय करना है कि बिहार को उजाले में रखना है या अंधेरे में
Khabari Chiraiya Desk : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बिहार की जनता को सीधे संबोधित करते हुए बड़ा राजनीतिक संदेश दिया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उन्होंने 75 लाख महिलाओं के खाते में 7500 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए और इस मौके पर पीएम ने कहा कि राजद के शासनकाल में बिहार में डर और अपराध का बोलबाला था। गरीब से लेकर अफसर तक कोई सुरक्षित नहीं था। उन्होंने भावुक अपील करते हुए कहा कि हमें मिलकर यह प्रण लेना होगा कि बिहार फिर कभी उस अंधेरे दौर में न लौटे। यह केवल आर्थिक मदद नहीं बल्कि नए बिहार के निर्माण की दिशा में एक निर्णायक कदम है।
प्रधानमंत्री का यह बयान चुनावी मौसम में नई बहस छेड़ता है। महिलाओं को दस-दस हजार रुपये की मदद देकर उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि एनडीए सरकार केवल योजना लागू नहीं कर रही, बल्कि बिहार की आधी आबादी को सशक्त बनाने का प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री महिला रोजगार सृजन योजना के तहत दी गई यह राशि लाखों महिलाओं के जीवन में नया अवसर लेकर आएगी और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगी।
आज के संबोधन में प्रधानमंत्री ने पुराने दिनों का दर्द भी याद दिलाया। उन्होंने कहा कि उस समय सड़कों की हालत खराब थी, पुल-पुलिया टूटी रहती थीं, और बाढ़ के समय गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाना कठिन हो जाता था। अपराध और भ्रष्टाचार का ऐसा माहौल था कि लोग भय में जीते थे। उन्होंने एनडीए सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि कानून का राज लौटाया गया, विकास की राह खोली गई और अब बिहार को पीछे नहीं लौटने देना है।
यह भाषण सिर्फ सरकारी योजना की घोषणा नहीं बल्कि चुनावी बिगुल भी है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि यह चुनाव विकास बनाम डर की राजनीति का चुनाव है। उन्होंने मतदाताओं से आह्वान किया कि वे उन ताकतों को जवाब दें जो बिहार को पुराने अंधकार युग में ले जाना चाहती हैं।
आज का यह संदेश बिहार की राजनीति को नई दिशा देने वाला है। चुनाव की तारीखों का ऐलान होने वाला है और ऐसे में प्रधानमंत्री का यह बयान चुनावी बहस का केंद्र बनने वाला है। मतदाताओं के लिए यह अवसर है कि वे तय करें कि वे अपराध और भय के दौर में लौटना चाहते हैं या विकास की राह को और मजबूत करना चाहते हैं।
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