अमेरिका में शटडाउन का साया गहराया

- फंडिंग बिल पर टकराव ने खड़ा किया संकट, आम नागरिकों और सरकारी कर्मचारियों पर भारी असर की आशंका
Khabari Chiraiya Desk : सात साल बाद अमेरिका एक बार फिर सरकारी कामकाज ठप पड़ने के कगार पर खड़ा है। आधी रात के बाद से यदि कोई समझौता नहीं हुआ तो बड़ी संख्या में सरकारी दफ्तर बंद हो जाएंगे और लाखों कर्मचारियों की सैलरी अटक सकती है। यह स्थिति इसलिए बनी है क्योंकि संसद से सरकारी खर्च के लिए जरूरी बिल को मंजूरी नहीं मिल पाई।
क्यों बना गतिरोध?
दरअसल, फंडिंग बिल को लेकर रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच गहरी खींचतान चल रही है। रिपब्लिकन चाहते हैं कि सरकार का खर्च बिना शर्त मंजूर हो और स्वास्थ्य बीमा योजनाओं को अलग रखा जाए। दूसरी ओर डेमोक्रेट्स का कहना है कि जब तक ‘ओबामाकेयर’ के फायदे और टैक्स छूट में विस्तार नहीं किया जाता, वे किसी भी प्रस्ताव को पास नहीं होने देंगे। उनका तर्क है कि इससे गरीबों का इलाज और दवाएं सस्ती बनी रहेंगी।
नेताओं की तीखी बयानबाजी
डेमोक्रेटिक नेता चक शूमर ने आरोप लगाया कि रिपब्लिकन पार्टी मनमानी पर उतारू है और विपक्ष की राय को दरकिनार करना चाहती है। इसके जवाब में रिपब्लिकन नेता जॉन थ्यून ने कहा कि डेमोक्रेट्स राजनीतिक दबाव बनाने के लिए देश को संकट की ओर धकेल रहे हैं।
किन पर होगा असर?
यदि शटडाउन लागू होता है तो कई मंत्रालय और विभाग प्रभावित होंगे। कृषि विभाग अपने आधे से अधिक कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज देगा। शिक्षा मंत्रालय का करीब 87 फीसदी स्टाफ काम पर नहीं आ पाएगा, जिससे स्कॉलरशिप और ग्रांट रुकी रहेंगी। अदालतें भी केवल अहम मामलों की सुनवाई करेंगी, छोटे केस टाल दिए जाएंगे।
कौन-सी सेवाएं नहीं रुकेंगी?
सुरक्षा और आपातकालीन सेवाओं को प्रभावित न करने का फैसला लिया गया है। नासा के अंतरिक्ष मिशन जारी रहेंगे, सीमा सुरक्षा और इमिग्रेशन सेवाओं पर असर नहीं पड़ेगा। मांस और पोल्ट्री जैसे खाद्य पदार्थों की सुरक्षा जांच भी बाधित नहीं होगी। आग बुझाने और स्वास्थ्य आपात सेवाएं भी सामान्य रूप से चलती रहेंगी।
आम नागरिक की परेशानियां
सामान्य लोगों की दिक्कतें बढ़नी तय हैं। शिक्षा विभाग से आर्थिक मदद लेने वाले छात्रों को इंतजार करना पड़ेगा। नए पासपोर्ट बनाने और नेशनल पार्कों के संचालन में देरी या अव्यवस्था हो सकती है। पिछली बार पार्क खुले तो थे लेकिन वहां सुरक्षा और सफाई की भारी समस्या देखी गई थी।
कर्मचारियों और राज्यों पर असर
संघीय कर्मचारियों की सबसे बड़ी चिंता वेतन को लेकर है। कई कर्मचारियों को बिना वेतन बुलाया जा सकता है और भुगतान बाद में किया जाएगा। इस बीच उन्हें रोजमर्रा की आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
आगे की राह
फिलहाल दोनों पार्टियां पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। रिपब्लिकन कहते हैं कि पहले सरकार चलनी चाहिए, फिर स्वास्थ्य नीति पर चर्चा हो सकती है। वहीं डेमोक्रेट्स का कहना है कि स्वास्थ्य लाभ पर समझौता नहीं होगा। यदि रात तक गतिरोध खत्म नहीं हुआ तो दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में प्रशासनिक ठहराव तय माना जा रहा है।
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