कार्तिक मास में जागेंगे विष्णु, दीपदान और तुलसी पूजा से खुलेगा सौभाग्य का द्वार 🌿

- इस माह में गंगा स्नान और दीपदान से व्यक्ति को अक्षय पुण्य और जीवन में समृद्धि की प्राप्ति होती है
Khabari Chiraiya Desk : वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष कार्तिक मास की शुरुआत 8 अक्टूबर से हो रही है और इसका समापन 5 नवंबर 2025 को होगा। यह महीना धर्म, तप और दान का प्रतीक माना गया है। कहा गया है कि कार्तिक मास में किए गए पुण्य कर्म का फल अनंत गुना बढ़ जाता है। इस अवधि में भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण और तुलसी माता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान विष्णु चार माह की योगनिद्रा से जागते हैं तो संसार में धर्म और प्रकाश का पुनर्जागरण होता है। इसी कारण कार्तिक को हरि जागरण का महीना कहा गया है। इस दौरान सूर्योदय से पहले स्नान, दीप जलाना और प्रभु नाम-स्मरण अत्यंत शुभ माना जाता है। गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य देने से आत्मा और मन दोनों शुद्ध होते हैं।
इस माह में दीपदान, तुलसी पूजन और भजन-कीर्तन का विशेष महत्व बताया गया है। माना जाता है कि तुलसी के पौधे के पास देशी घी का दीप जलाने से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है। वहीं दीपदान करने से लक्ष्मी और विष्णु दोनों की कृपा प्राप्त होती है।
कार्तिक मास को त्योहारों का महीना भी कहा जाता है। करवा चौथ, धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज और छठ जैसे प्रमुख व्रत इसी महीने आते हैं। ये पर्व अंधकार पर प्रकाश और अधर्म पर धर्म की विजय का संदेश देते हैं। दीपावली की रात्रि में दीपदान करने से न केवल घर प्रकाशित होता है, बल्कि जीवन में नए अवसरों का प्रकाश भी फैलता है।
कार्तिक मास व्यक्ति को यह संदेश देता है कि जैसे दीपक अंधकार मिटाता है, वैसे ही भक्ति और श्रद्धा जीवन के सभी दुःखों को दूर करती है। यही कारण है कि इसे पुण्य का राजा कहा गया है -एक ऐसा महीना जो जीवन में प्रकाश और आत्मा में शांति भर देता है।
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