नीरज चोपड़ा बने प्रादेशिक सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल

- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्टार भाला फेंक खिलाड़ी और दो बार के ओलंपिक पदक विजेता नीरज चोपड़ा को प्रादेशिक सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल (मानद) का प्रतीक चिन्ह प्रदान किया
Khabari Chiraiya Desk: साउथ ब्लॉक में बुधवार को एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला, जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश के स्टार भाला फेंक खिलाड़ी और दो बार के ओलंपिक पदक विजेता नीरज चोपड़ा को प्रादेशिक सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल (मानद) का प्रतीक चिन्ह सौंपा।
राजनाथ सिंह ने नीरज को “दृढ़ता, देशभक्ति और उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने की भारतीय भावना का जीवंत प्रतीक” बताया।
समारोह में जब वर्दी पहने नीरज ने मुस्कुराते हुए सलामी दी तो पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा, मानो एक खिलाड़ी नहीं, पूरा राष्ट्र सम्मानित हो रहा हो।
इस अवसर पर थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी, सेना और प्रादेशिक सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
रक्षा मंत्री ने कहा, “लेफ्टिनेंट कर्नल (मानद) नीरज चोपड़ा अनुशासन, समर्पण और राष्ट्रीय गौरव के सर्वोच्च आदर्शों के प्रतीक हैं और वे खेल जगत तथा सशस्त्र बलों दोनों के लिए आने वाली पीढ़ियों के प्रेरणास्रोत हैं।”
खेती की मिट्टी से ओलंपिक तक का सफर
हरियाणा के पानीपत जिले के खंडरा गांव में 24 दिसंबर 1997 को जन्मे नीरज चोपड़ा ने बचपन से ही खेल के प्रति गहरी लगन दिखाई। उन्होंने 2016 में भारतीय सेना की राजपूताना राइफल्स में भर्ती होकर सेवा शुरू की और कुछ ही वर्षों में अपने थ्रो से पूरी दुनिया को चौंका दिया।
2020 के टोक्यो ओलंपिक में नीरज ने ट्रैक एंड फील्ड में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट बनकर इतिहास रचा।
2024 के पेरिस ओलंपिक में उन्होंने रजत पदक अपने नाम किया, जबकि 2023 की विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में एक बार फिर स्वर्ण पदक जीतकर भारत का परचम बुलंद किया।
एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और डायमंड लीग प्रतियोगिताओं में उनके कई स्वर्ण पदक भारत की खेल शक्ति के प्रतीक बन चुके हैं।
उनका 90.23 मीटर का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ थ्रो 2025 में भारतीय एथलेटिक्स के इतिहास में एक नई ऊँचाई जोड़ गया।
16 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने नीरज चोपड़ा को प्रादेशिक सेना में मानद कमीशन प्रदान किया था।
उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए उन्हें पद्मश्री, मेजर ध्यानचंद खेल रत्न, अर्जुन पुरस्कार, परम विशिष्ट सेवा पदक और विशिष्ट सेवा पदक से भी नवाज़ा जा चुका है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि यह सम्मान सिर्फ एक खिलाड़ी का नहीं, बल्कि हर उस युवा भारतीय का है जो अनुशासन, समर्पण और राष्ट्रभक्ति के बल पर अपने सपनों को साकार करना चाहता है।
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