राजनीति : टिकट बंटवारे में हर दल ने दिखाई जातीय चाल

बिहार विधानसभा चुनाव : जहां एनडीए ने 31 उम्मीदवार उतारे हैं, वहीं जन सुराज ने सबसे अधिक 32 प्रत्याशियों को मैदान में उतारकर नई लकीर खींच दी है, मटिहानी, मोकामा और जहानाबाद जैसी सीटों पर इस बार जीत आसान नहीं होगी
नीरज कुमार, पटना (बिहार)
बिहार की राजनीति में भूमिहार या ब्रह्मर्षि समाज का प्रभाव हमेशा निर्णायक माना जाता रहा है। 2025 के संभावित विधानसभा चुनाव में एक बार फिर यही समाज चुनावी रणनीतियों का केंद्र बन गया है। टिकट बंटवारे से यह साफ है कि हर पार्टी इस समुदाय को साधने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रही है। सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने इस बार भूमिहार समाज को सबसे अधिक प्रतिनिधित्व दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 16 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं-इनमें अरवल से मनोज शर्मा, लखीसराय से विजय सिन्हा और बिक्रम से सिद्धार्थ सौरभ जैसे नाम शामिल हैं।
जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने 9 सीटों पर इस समाज को टिकट दिया है। मोकामा से बाहुबली अनंत सिंह और सरायरंजन से विजय चौधरी जदयू के प्रमुख उम्मीदवार हैं। इसके अलावा जीतन राम मांझी की हम (HAM) और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने क्रमशः 2 और 3 उम्मीदवारों को मौका दिया है। इस तरह एनडीए के खाते में कुल 31 भूमिहार प्रत्याशी हैं।
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विपक्षी महागठबंधन ने भी इस वोट बैंक को अपनी ओर खींचने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने 7 और कांग्रेस ने 9 सीटों पर भूमिहार प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। भागलपुर से अजीत शर्मा (कांग्रेस) और जहानाबाद से राहुल शर्मा (राजद) को प्रमुख उम्मीदवार बनाया गया है। वाम दलों ने भी इस बार समीकरण बिगाड़ने की तैयारी की है। सीपीआई ने बेगूसराय जिले की तीन सीटों…तेघड़ा, हरलाखी और मटिहानी पर अपने प्रत्याशी उतारकर मुकाबले को और पेचीदा बना दिया है।
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इस चुनाव में सबसे अधिक चर्चा प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज’ पार्टी की हो रही है। जन सुराज ने अब तक की सबसे बड़ी चाल चलते हुए 32 सीटों पर भूमिहार समाज के प्रत्याशी उतारे हैं। रीगा से कृष्ण मोहन सिंह, जहानाबाद से अभिराम सिंह और मटिहानी से डॉ. अरुण कुमार जैसे नाम सुर्खियों में हैं। यह रणनीति कई पारंपरिक सीटों पर त्रिकोणीय या बहुकोणीय मुकाबला तैयार कर रही है, जो एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए सिरदर्द साबित हो सकती है।
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मटिहानी, मोकामा, बरबीघा, तेघड़ा और जहानाबाद जैसे सीटों पर भूमिहार समाज के उम्मीदवार लगभग हर बड़े दल से हैं। मटिहानी में जदयू के राजकुमार सिंह, राजद के बोगो सिंह, जन सुराज के डॉ. अरुण कुमार और सीपीआई के राजेंद्र प्रसाद के बीच चतुष्कोणीय मुकाबला बन गया है।
मोकामा में जदयू के अनंत सिंह और राजद की वीणा देवी के बीच सीधे आमने-सामने की टक्कर है। तेघड़ा में भाजपा के रजनीश कुमार, सीपीआई के राम रतन सिंह और जन सुराज के आर.एन. सिंह मुकाबले में हैं।
यह पहला मौका है जब भूमिहार समाज को टिकट वितरण में इतने बड़े पैमाने पर प्राथमिकता दी गई है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह सिर्फ जातिगत प्रतिनिधित्व नहीं, बल्कि आगामी विधानसभा चुनाव की पूरी रणनीति का अहम हिस्सा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इतने बड़े स्तर पर उम्मीदवार उतारने के बावजूद कौन-सा दल इस समाज के वोट को एकजुट करने में सफल होता है और कौन अपनी ही रणनीति में उलझकर पिछड़ जाता है।
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