October 24, 2025

खबरी चिरईया

नजर हर खबर पर

धरती से 20 प्रकाश वर्ष दूर मिला नया सुपर-अर्थ

सुपर-अर्थ
  • जो आकार में पृथ्वी से चार गुना बड़ा है और जीवन के अनुकूल परिस्थितियों वाला माना जा रहा है

Khabari Chiraiya Desk : खगोल विज्ञान की दुनिया में हलचल मचा देने वाली यह खोज पृथ्वी से मात्र 20 प्रकाश वर्ष दूर एक संभावित “सुपर-अर्थ” की है। यह ग्रह हमारे सौर मंडल के बाहर एक लाल बौने तारे (Red Dwarf Star) की परिक्रमा कर रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह ग्रह चट्टानी सतह वाला है और उस क्षेत्र में स्थित है जहां तरल पानी मौजूद हो सकता है यानी जहां जीवन पनपने की संभावना सबसे अधिक होती है।

इस ग्रह का नाम GJ 251C रखा गया है। यह आकार में हमारी पृथ्वी से लगभग चार गुना बड़ा है और हर 54 दिन में अपने तारे की एक परिक्रमा पूरी करता है। इस खोज को पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अंजाम दिया है, और इसका विस्तृत अध्ययन द एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

कैसे मिली यह खोज?

पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सुष्रत महादेवन, जो इस अध्ययन के सह-लेखक हैं, ने बताया कि यह खोज 20 वर्षों की लगातार निगरानी और दुनिया की कई दूरबीनों से लिए गए आंकड़ों पर आधारित है। इस अध्ययन में इस्तेमाल किया गया हैबिटेबल जोन प्लैनेट फाइंडर (HPF) नामक उपकरण, जो पेन स्टेट यूनिवर्सिटी में ही विकसित किया गया था, ने इसमें अहम भूमिका निभाई।

यह उपकरण किसी ग्रह को सीधे देखने के बजाय उसके तारे में आने वाले सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षणीय कंपन (Gravitational Wobble) को मापता है। जब कोई ग्रह अपने तारे की परिक्रमा करता है, तो उसके खिंचाव से तारा हल्का-सा डगमगाता है। HPF इसी डगमगाहट के संकेतों को पकड़ता है और ग्रह के अस्तित्व की पुष्टि करता है। इसी तकनीक से GJ 251C की उपस्थिति का पता लगाया गया।

क्या वहां जीवन हो सकता है?

वैज्ञानिकों का मानना है कि यह ग्रह भविष्य के लिए अध्ययन का बेहतरीन उम्मीदवार है। यह मिथुन तारामंडल (Gemini Constellation) में स्थित है और पृथ्वी से इतनी कम दूरी पर है कि आने वाले वर्षों में इसकी वायुमंडलीय संरचना की प्रत्यक्ष जांच संभव हो सकेगी।
हालांकि मौजूदा उपकरणों से इसकी सीधी तस्वीर लेना संभव नहीं है, लेकिन अगले दशक में विकसित होने वाली 30-मीटर श्रेणी की टेलिस्कोप इसके वातावरण में जीवन से जुड़े संकेत खोजने में सक्षम होंगी।

पेन स्टेट की टीम का कहना है कि यह ग्रह इतना पास है कि अगले 10 वर्षों में वैज्ञानिक इसके तारे की रोशनी से अलग होकर इसकी अपनी “हवा और रोशनी” का विश्लेषण कर पाएंगे यानी यह समझ सकेंगे कि क्या वहां ऑक्सीजन, मीथेन या पानी के अणु मौजूद हैं।

टीम अब GJ 251 सिस्टम की लगातार निगरानी कर रही है ताकि इसकी कक्षा, वायुमंडल और संभावित चंद्रमाओं के बारे में और जानकारी जुटाई जा सके।

यह भी पढ़ें… बिहार चुनाव के दूसरे चरण में 1302 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला, 70 ने वापस लिया नाम

यह भी पढ़ें… महागठबंधन में तेजस्वी यादव बने चेहरा, मुकेश सहनी को मिला डिप्टी सीएम का भरोसा

यह भी पढ़ें…राजनीति : टिकट बंटवारे में हर दल ने दिखाई जातीय चाल 

यह भी पढ़ें… दिल्ली में एनकाउंटर, ढेर हुआ बिहार का खतरनाक गिरोह

यह भी पढ़ें… छठ पर्व : 5 दिनों तक हर दिन चलेंगी 300 विशेष ट्रेनें

आगे की खबरों के लिए आप हमारी वेबसाइट पर बने रहें…

Advertisements
Gulab Ashiyana
error: Content is protected !!