December 22, 2025

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बिहार चुनाव : महागठबंधन का चुनावी दांव @ हर घर नौकरी से लेकर 200 यूनिट फ्री बिजली तक बड़े वादों की भरमार

  • इस घोषणा पत्र में पार्टी ने स्पष्ट किया है कि पूरा नेतृत्व एक चेहरे के इर्द-गिर्द केंद्रित होगा

Khabari Chiraiya Desk: बिहार चुनाव के ऐन पहले महागठबंधन ने जनता को लुभाने के लिए वादों का ऐसा पिटारा खोल दिया है, जिसने सियासी पारे को अचानक गर्म कर दिया है। “तेजस्वी प्रण” शीर्षक वाले इस दस्तावेज़ में गठबंधन ने रोज़गार से लेकर सामाजिक सुरक्षा तक, लगभग हर प्रमुख मुद्दे पर नई दिशा देने का वादा किया है। सबसे चर्चित घोषणा यह कि सत्ता में आते ही प्रत्येक परिवार से एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की कानूनी प्रक्रिया शुरू की जाएगी। 20 दिनों में अधिनियम और 20 महीनों में नौकरी देने की कार्ययोजना लागू करने की बात कही गई है, जिसे गठबंधन बेरोज़गारी ख़त्म करने का ऐतिहासिक कदम बता रहा है।

जीविका समूहों से जुड़ी महिलाओं को सरकारी नौकरी का दर्जा, न्यूनतम ₹30,000 मासिक वेतन और ब्याज-मुक्त ऋण सुविधा देने का ऐलान महिलाओं की आर्थिक भूमिका को केंद्र में रखता है। संविदा और आउटसोर्सिंग पर काम करने वाले कर्मचारियों को स्थायी करने का वादा भी किया गया है। उद्योगों और शिक्षा के क्षेत्र में आईटी पार्क, एसईज़ेड, 2000 एकड़ में एजुकेशन सिटी और नए औद्योगिक क्लस्टरों की स्थापना की बात करते हुए रोजगार सृजन को मजबूती देने का खाका सामने रखा गया है। कृषि, डेयरी, मछली और पशुपालन के विकास की योजनाओं को भी इसमें प्रमुखता दी गई है।

राज्य कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने का निर्णय लाखों परिवारों के लिए राहत का बड़ा संकेत है। वहीं महिलाओं के लिए दो योजनाओं पर जोर दिया गया है: एक, “माय चॉइस मान योजना” जिसके तहत दिसंबर से ₹2500 मासिक आर्थिक सहायता की शुरुआत होगी। दूसरी, “बेटी और माई योजना” जो शिक्षा, मकान और भोजन की गारंटी पर आधारित है। वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों और विधवाओं के लिए सहायता राशि में भी बड़ा इज़ाफ़ा करने का वादा किया गया है। साथ ही हर घर को 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की घोषणा आम लोगों की जेब में राहत का संदेश देती है।

माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की मनमानी पर रोक और सहारा में फंसे निवेशकों की धनराशि वापस दिलाने जैसे वादे आर्थिक न्याय से जुड़े पहलुओं को सामने लाते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं के शुल्क माफी से लेकर परीक्षा केंद्र तक निःशुल्क यात्रा, पेपर लीक पर कठोर कार्रवाई और बिहारवासियों को रोजगार में प्राथमिकता देने की घोषणा युवा वोटरों को साधने की कोशिश है।

शिक्षा क्षेत्र में हर अनुमंडल में महिला कॉलेज और जिन प्रखंडों में डिग्री कॉलेज की कमी है, वहां संस्थान खोलने की योजना शामिल है। स्वास्थ्य सुविधाओं को जिला स्तर पर सुपरस्पेशियलिटी के रूप में विकसित करना और ₹25 लाख तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा देना चुनावी बहस में बड़ा मुद्दा बन सकता है। किसानों के लिए सभी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद और मंडियों के पुनर्जीवन का भरोसा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल देने की कवायद है।

मनरेगा मजदूरी बढ़ाने और कार्यदिवस दोगुना करने का निर्णय भी ग्रामीण रोजगार पर सीधा असर डालेगा। आरक्षण को आबादी के अनुपात में बढ़ाने, पंचायतों में अतिपिछड़ा वर्ग का आरक्षण 30 प्रतिशत करने और कमजोर वर्गों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून लाने की घोषणा सामाजिक न्याय की नींव पर केंद्रित है। अपराध पर सख्ती और पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की नीति के साथ अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के बिंदु भी घोषणापत्र की प्रमुख विशेषताएं हैं। कुल मिलाकर महागठबंधन ने वादों की ऐसी सूची पेश की है, जो हर वर्ग को सीधे लाभ का दावा करती है। अब देखना यह है कि क्या “तेजस्वी प्रण” मतदाताओं की उम्मीदों पर खरा उतरकर चुनावी तस्वीर को पलटने में सफल हो पाएगा।

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