प्रधानमंत्री मोदी का आह्वान-एकता ही भारत की सबसे बड़ी ताकत
- राष्ट्रीय एकता दिवस पर पीएम ने कहा कि सरदार पटेल के मार्ग पर चलकर भारत औपनिवेशिक मानसिकता से पूरी तरह मुक्त हो रहा है
Khabari Chiraiya Desk : सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती और राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर गुजरात के एकता नगर (केवड़िया) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को एकजुटता का संदेश देते हुए कहा कि “यह सरदार पटेल का भारत है, जो अपनी सुरक्षा और स्वाभिमान से कभी समझौता नहीं करेगा।” प्रधानमंत्री ने लौह पुरुष की प्रेरणा को याद करते हुए कहा कि स्वतंत्रता के बाद 550 से अधिक रियासतों को एकसूत्र में पिरोना असंभव प्रतीत होता था, लेकिन सरदार पटेल ने दृढ़ संकल्प से इसे संभव कर दिखाया।
कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने सरदार पटेल को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि “उनके लिए ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का स्वप्न सर्वोपरि था।” उन्होंने 140 करोड़ भारतीयों को राष्ट्रीय एकता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज का भारत सरदार पटेल के विचारों से प्रेरणा लेकर विकास और एकता के नए युग की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि एकता नगर के एकता मॉल और एकता गार्डन जैसे प्रतीक इस बात का उदाहरण हैं कि कैसे देश अब एकता को जीवन का अंग बना चुका है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह उन कार्यों से बचे जो राष्ट्र की एकता को कमजोर करते हैं। उन्होंने कहा कि “राष्ट्र की अखंडता हमारी सबसे बड़ी ताकत है और यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि कोई भी विचार या कार्य इसे आहत न करे।”

कश्मीर मुद्दे पर उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद की सरकारों ने सरदार पटेल की नीतियों को न अपनाकर बड़ी गलती की। तत्कालीन नेतृत्व की कमजोरी के कारण आतंकवाद और हिंसा ने देश को दशकों तक परेशान किया। उन्होंने कहा कि “आज की सरकार ने कश्मीर को अनुच्छेद 370 की बेड़ियों से मुक्त कर एक नई सुबह दी है।”
नक्सलवाद और माओवादी आतंकवाद पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि “वर्ष 2014 से हमारी सरकार ने इस पर निर्णायक प्रहार किया है। पहले 125 जिले इस समस्या से प्रभावित थे, आज यह संख्या घटकर केवल 11 रह गई है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अब किसी भी आतंरिक या बाहरी खतरे के सामने झुकने वाला देश नहीं रहा।
पीएम मोदी ने घुसपैठ को राष्ट्रीय एकता के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया। उन्होंने कहा कि विदेशी घुसपैठिए देश के संसाधनों पर कब्जा कर रहे हैं और जनसांख्यिकीय संतुलन बिगाड़ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने दृढ़ स्वर में कहा, “राष्ट्रीय एकता दिवस पर हमारा संकल्प है कि भारत में रह रहे हर घुसपैठिए को बाहर निकालेंगे।”

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जो दल औपनिवेशिक मानसिकता को ढोते रहे, उन्होंने भारत की आत्मा को कमजोर किया। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार ने औपनिवेशिक प्रतीकों को मिटाने और स्वतंत्र भारत की पहचान को सशक्त करने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए हैं, जैसे भारतीय नौसेना के झंडे से अंग्रेजी निशान हटाना, राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ रखना, और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा इंडिया गेट पर स्थापित करना।
उन्होंने बताया कि अब देश अपने नायकों का सम्मान कर रहा है। बाबा साहेब अंबेडकर को पंचतीर्थ के रूप में श्रद्धांजलि दी गई है, कर्पूरी ठाकुर, प्रणब मुखर्जी और मुलायम सिंह यादव जैसे नेताओं को सर्वोच्च सम्मान प्रदान किया गया है। यह राजनीति से ऊपर उठकर एकता की भावना को मजबूत करने की दिशा में उठाए गए कदम हैं।
पीएम मोदी ने भारत की एकता के चार आधार स्तंभ बताए-सांस्कृतिक एकता, भाषाई एकता, समावेशी विकास और संपर्क के माध्यम से दिलों का जुड़ाव। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति ने हज़ारों वर्षों से देश को एक सूत्र में बांधकर रखा है। योग, भाषाई विविधता और नए बुनियादी ढांचे ने उत्तर-दक्षिण और पूरब-पश्चिम के बीच की दूरियों को मिटा दिया है।
अंत में प्रधानमंत्री ने कहा कि मां भारती के प्रति समर्पण ही हर भारतीय के लिए सर्वोच्च आराधना है। उन्होंने आह्वान किया कि हर नागरिक एकता को जीवन का संकल्प बनाए।
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