December 21, 2025

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ब्रह्मकुमारी संस्था के कार्यक्रम में मोदी ने कहा, आचरण ही सबसे बड़ा धर्म, सेवा ही सच्ची साधना

  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया शांति शिखर रिट्रीट सेंटर का शुभारंभ

Khabari Chiraiya Desk: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को नवा रायपुर के सेक्टर-20 में बने ब्रह्मकुमारी संस्था के शांति शिखर रिट्रीट सेंटर ‘एकेडमी फॉर ए पीसफुल वर्ल्ड’ का उद्घाटन किया। लगभग 1.5 एकड़ में फैला यह ध्यान केंद्र आधुनिक तकनीक और पारंपरिक आध्यात्मिकता का संगम है। इस मौके पर राज्यपाल रमेन डेका और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तराखंड के स्थापना दिवस पर देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इन तीनों राज्यों ने 25 वर्षों की यात्रा में विकास के नए अध्याय लिखे हैं। उन्होंने कहा कि राज्यों की प्रगति ही राष्ट्र के विकास की राह बनाती है, और इसी भावना से हम भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के मिशन में आगे बढ़ रहे हैं।

ब्रह्मकुमारी संस्था से दशकों पुराना जुड़ाव

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि उनका ब्रह्मकुमारी संस्था से संबंध दशकों पुराना है। उन्होंने बताया कि 2011 में अहमदाबाद में ‘फ्यूचर ऑफ पावर’ कार्यक्रम से लेकर माउंट आबू और गुजरात में हुए आयोजनों तक वे लगातार इस आध्यात्मिक परिवार से जुड़े रहे हैं। मोदी ने कहा कि मैंने ब्रह्मकुमारी परिवार को वटवृक्ष की तरह बढ़ते देखा है। यहां शब्दों से अधिक सेवा और साधना की शक्ति दिखाई देती है। उन्होंने यह भी कहा कि ब्रह्मकुमारी संस्था के ‘सेवा-भाव’ ने उन्हें हमेशा प्रेरित किया है। प्रधानमंत्री ने कहा-जब भी मैं आपके बीच आता हूं, मुझे लगता है कि यह मेरा अपना परिवार है। यहां हर बहन कठोर तप और अनुशासन से अपनी साधना करती है। ओम शांति’ का आपका अभिवादन केवल शब्द नहीं, बल्कि जीवन का दर्शन है।

सेवा और आचरण को बताया जीवन का सार

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की परंपरा में आचरण ही सबसे बड़ा धर्म माना गया है। उन्होंने कहा, “सच्चा परिवर्तन तब आता है जब हम अपने कथन को कर्म में उतारते हैं। ब्रह्मकुमारी संस्था इसी विचार को साकार करती है-यहां कर्म, तप और सेवा तीनों एक साथ चलते हैं। उन्होंने आगे कहा कि ब्रह्मकुमारी आंदोलन की आध्यात्मिक शक्ति देश को नैतिक और सांस्कृतिक रूप से मजबूत बना रही है। ओम शांति” के अर्थ को समझाते हुए उन्होंने कहा, “‘ओम’ समस्त ब्रह्मांड का प्रतीक है और ‘शांति’ स्थिरता व सद्भाव की कामना। यही भारत की आत्मा है-शांत, संतुलित और सर्वहितकारी।” कार्यक्रम के अंत में प्रधानमंत्री ने देश और विदेश में ब्रह्मकुमारी परिवार से जुड़े सभी सदस्यों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि भारत के विकास में ऐसी संस्थाओं का योगदान आत्मबल और चरित्रबल, दोनों रूपों में अनमोल है।

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