December 21, 2025

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बिहार News: जनता का भरोसा और नीतीश कुमार की अग्नि परीक्षा

Nitish Kumar

बिहार में पढ़ाई, दवाई और कमाई है चुनाव का मुद्दा

Khabari Chiraiya Desk: बिहार की जनता का जिस तरह से एक बार फिर विश्वास नीतीश कुमार में दिख रहा है, यह देखते हुए तय लगता है कि अगर महाराष्ट्र जैसा खेल बिहार में नहीं हुआ तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे। शायद यह अंतिम पारी उनके राजनीतिक जीवन की भी हो। इसके कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हर तबके की बड़ी उम्मीद होगी।

हाल के दिनों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से तीन कारणों से लोगों में बड़ी नाराजगी रही है। सबसे ज्यादा नाराजगी बिहार में अफसरशाही और भ्रष्टाचार को लेकर है। यह जिस तरह से बिना रोक-टोक के जारी है, वह सरकार की सबसे बड़ी बदनामी का कारण है। सबसे दुखद बात यह है कि एक अणे मार्ग में बैठे अधिकारियों पर खुलेआम आरोप लगे, डीके टैक्स की बात हुई, फिर भी इस सवाल पर न कोई कार्रवाई हुई और न सफाई सामने आई।

जहां तक अफसरशाही और भ्रष्टाचार का सवाल है, बीते दिनों भ्रष्टाचार के लिए सबसे बदनाम बिहार का अंचल अधिकारी सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन तक कर चुका है। थाना, अंचल कार्यालय, बीडीओ कार्यालय से लेकर एक-एक कार्यालय में अफसरशाही और भ्रष्टाचार चर्चा का विषय बना हुआ है।

इसी तरह राज्य की कानून-व्यवस्था का सवाल अहम है। नीतीश कुमार का सबसे बड़ा एकबाल राज्य में कानून का राज रहा है, जो लगातार अपनी गिरावट के कारण कई वर्षों से चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां तक कि चुनाव के समय भी राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर पूरे देश में चिंता है और सवाल उठ रहे हैं।

यह दोनों सवाल इतने महत्वपूर्ण हैं कि 2025 के चुनाव में अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड को कोई नुकसान हुआ तो इसका कारण अफसरशाही, भ्रष्टाचार और कानून-व्यवस्था ही होगा। कारण यह है कि विपक्ष सबसे ज्यादा प्रहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर इन दोनों कारणों से ही कर रहा है। इसके कारण ही बिहार में दिल्ली से सरकार चलाने की बात हो रही है। कहा जा रहा है कि बिहार में सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह रिमोट से चला रहे हैं। वैसे यह विपक्ष का आरोप है, लेकिन बिहार में एनडीए सरकार होने के कारण आम लोगों को भी कभी-कभी ऐसा भ्रम हो जाता है। हाल में मोकामा की घटना ने इस शंका को और भी प्रबल किया है।

तीसरी बात यह है कि बिहार के 2025 के चुनाव में चुनावी मुद्दा अगर हम कहें तो मूल रूप से पढ़ाई, दवाई और कमाई बना है। बिहार में इतनी बड़ी शिक्षक बहाली के बावजूद कोई भी सरकारी स्कूल जहां अच्छी पढ़ाई और ईमानदार शिक्षक दिखे, यह अपवाद के तौर पर ही देखा जा रहा है। बिहार में पूरी तरह से उच्च शिक्षा चौपट है। यह कहते हुए बहुत दर्द होता है कि शिक्षक से लेकर कुलपति तक में ईमानदारी का संकट है और विद्यार्थियों के प्रति दायित्व का घोर अभाव है। जाति और धर्म की राजनीति में पूरी तरह डूब चुका देश शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से चौपट करने में जुटा है। यह आम लोगों का मानना है, भले ही राजनीतिज्ञ इससे सहमत न हों। भ्रष्टाचार को लेकर राजभवन से लेकर विद्यालय की शिक्षा समिति तक पर सवाल उठ रहे हैं। अगर धुआं है तो बिना आग के संभव नहीं है।

इसी तरह चिकित्सा सेवा में अच्छे भवन और सभी सुख-सुविधाओं के बावजूद अच्छे स्वास्थ्यकर्मियों और डॉक्टरों का अभाव अभी भी दिख रहा है। अस्पताल में तैनात डॉक्टर निजी प्रैक्टिस में व्यस्त हैं। इस विभाग में जिस तरह से मंत्री से लेकर अधिकारी तक के भ्रष्टाचार की कहानियां रोज आती हैं, वह निश्चित तौर पर बिहार सरकार के लिए अब भी बड़ी चुनौती है।

बिहार सरकार के कई मंत्री तक दवा घोटाले में चर्चित हैं। इसके बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किया जाना जनता के विश्वास को कमजोर करता है। अगर एक बड़े उदाहरण के रूप में देखें तो खुद को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मानस पुत्र बताने वाले अशोक चौधरी का कारनामा और भ्रष्टाचार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की साख पर बड़ा बट्टा है।

जहां तक कमाई का सवाल है, बिहार सरकार ने महिलाओं से लेकर शिक्षित बेरोजगारों के लिए सरकारी नौकरी से लेकर रोज़गार के अवसरों पर जरूर ध्यान दिया है। लेकिन जिस तरह से बिहार में पेपर लीक और बीपीएससी की साख पर से भरोसा खत्म होने की बातें सामने आई हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। नीतीश सरकार ने इस चुनाव में निश्चित तौर पर रोज़गार को लेकर बड़ी घोषणाएं की हैं, लेकिन अफसरशाही और भ्रष्टाचार इस रास्ते में दो रोड़े के रूप में खड़े हो सकते हैं।

वैसे दल के मामले में जिस तरह से पूरी पार्टी दलदल में फंसी है, सबसे छोटी इकाई से लेकर राष्ट्रीय इकाई तक में बड़ी नाराजगी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के वफादार और पुराने साथियों में बनी हुई है। खास तौर पर इनका आक्रोश केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष राज्यसभा सदस्य संजय झा पर बना हुआ है। इसे हल्के में देखना एक बड़ी भूल हो सकती है।

यह कुछ बानगी के तौर पर उदाहरण हैं। अगर भविष्य में नीतीश कुमार की सरकार बनती है और इन मामलों को लेकर मुख्यमंत्री सजग नहीं होते हैं, तो तय है कि आने वाले समय में बिहार की जनता का सदा के लिए विश्वास उठ जाएगा।

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