उम्र बढ़ने के साथ बढ़ता प्रोस्टेट का खतरा
- चिकित्सा जगत में इसे बेनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (BP|H) कहा जाता है
अरुण शाही, मुजफ्फरपुर
बढ़ती उम्र के साथ पुरुषों के लिए सबसे आम स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है प्रोस्टेट का बढ़ना। चिकित्सा जगत में इसे बेनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (BP|H) कहा जाता है। आयुर्वेदाचार्य डॉ. ललन तिवारी वैध बताते हैं कि प्रोस्टेट ग्रंथि पुरुषों में मूत्राशय के नीचे स्थित होती है और यह सिमेन निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उम्र के साथ इस ग्रंथि में सूजन या आकार में वृद्धि होने लगती है, जिससे मूत्रमार्ग पर दबाव बढ़ता है और पेशाब करने में कठिनाई होती है। डॉ. तिवारी के अनुसार, यह समस्या आज केवल वृद्ध पुरुषों तक सीमित नहीं रही। अनियमित दिनचर्या, देर रात तक जागना, अत्यधिक तनाव, तला-भुना भोजन, धूम्रपान और शराब का सेवन करने वालों में भी प्रोस्टेट बढ़ने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि शुरुआत में यह समस्या हल्की जलन, बार-बार पेशाब लगने, मूत्र रुकने या रुक-रुक कर आने जैसे लक्षणों से प्रकट होती है। यदि समय रहते इस पर ध्यान न दिया जाए, तो संक्रमण बढ़कर किडनी तक प्रभाव डाल सकता है। डॉ. तिवारी ने बताया कि प्रोस्टेट से जुड़ी मुख्य तीन बीमारियां होती हैं प्रोस्टेटाइटिस (संक्रमण और सूजन), बेनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (BPH) और प्रोस्टेट कैंसर। इनमें से BP सबसे आम है और इसका इलाज संभव है, बशर्ते शरुआती लक्षणों की अनदेखी न की जाए।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बीमारी से बचाव के लिए जीवनशैली में सुधार सबसे प्रभावी उपाय है। संतुलित और पौष्टिक आहार में हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज और पानी की पर्याप्त मात्रा शामिल करनी चाहिए। सुबह उठते ही एक गिलास गुनगुना पानी पीना, नियमित व्यायाम योग और तनावमुक्त जीवन से इस समस्या को काफी हद तक रोक सकता है।
डॉ. तिवारी ने सलाह दी कि पेशाब को कभी नहीं रोकना चाहिए, क्योंकि इससे मूत्राशय पर दबाव पड़ता है और संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। वहीं, लंबे समय तक बैठे रहने से भी प्रोस्टेट ग्रंथि पर असर पड़ता है, इसलिए हर दो घंटे में कुछ देर टहलना चाहेए। उन्होंने कहा कि उम्र के साथ नियमित स्वास्थ्य जांच करवाना बहुत जरूरी है। यदि बार-बार पेशाब लगना, रात में कई बार उठना, पेशाब में दर्द या रुकावट जैसी समस्या महसूस हो, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। समय पर उपचार से यह बीमारी नियंत्रित की जा सकती है और व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है।
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