बिहार में तीन उपमुख्यमंत्री या दो…? BJP कोटे पर सबसे बड़ी माथापच्ची
- बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई सरकार बनने की प्रक्रिया शुरू होते ही सत्ता का समीकरण बुनने का सिलसिला भी तेज हो गया है
Khabari Chiraiya Desk: बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई में एक बार फिर एनडीए सरकार बनने जा रही है, लेकिन इस बार सत्ता का समीकरण पुरानी शैली से थोड़ा अलग और ज्यादा संवेदनशील हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक, इस बार भाजपा डिप्टी सीएम पदों की संख्या और चेहरों को लेकर गंभीर मंथन में है। फिलहाल दो उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा है, लेकिन अंदर की हलचल ये भी बताती है कि अगर जातीय संतुलन के हिसाब से समीकरण बदले, तो तीसरे चेहरे की संभावनाएं भी खुल सकती हैं।
क्या भाजपा बदलाव करेगी या ‘स्टेटस को’ बनाए रखेगी?
सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा पिछली सरकार में भाजपा के दो चेहरा थे। हालांकि, चुनावी दौर में गृह मंत्री अमित शाह ने दोनों को बड़ा पद देने का संकेत तो दिया था, लेकिन अब सोशल इंजीनियरिंग के आधार पर नए नामों को लेकर रणनीति बदली जा सकती है। विशेष तौर से तब, जब भाजपा के नए विधायकों में 19 राजपूत और 12 भूमिहार हैं, और पार्टी पर सवर्णों को उपमुख्यमंत्री पद देने का दबाव है।
जातीय समीकरण का दबाव और दलित दांव
नीतीश कुमार की नई सरकार में सबसे महत्वपूर्ण बात जो उभरकर सामने आ रही है — वह है जातीय गोलबंदी। विधानसभा में 32 राजपूत और 22 भूमिहार विधायक होने से राजपूतों की दावेदारी अब प्रमुख रूप से सामने आ गई है। साथ ही दलित समुदाय के 35 विधायक एनडीए खेमे में होने से इस वर्ग के नेताओं को भी बड़ा पद मिलने की संभावना बन रही है। चिराग पासवान की पार्टी लोजपा-आर के लिए ये बड़ा मौका हो सकता है, लेकिन जरूरी नहीं कि डिप्टी सीएम पद उन्हीं को मिले।
क्षेत्रीय संतुलन भी अहम
सत्ता समीकरण सिर्फ जाति के आधार पर नहीं होगा। शाहाबाद, मगध, चंपारण, तिरहुत, सीमांचल जैसे क्षेत्र, जहां एनडीए को जोरदार समर्थन मिला, वहाँ से भी नेतृत्व उभर सकता है। माना जा रहा है कि नीतीश और भाजपा इस बार उन इलाकों को ज्यादा तवज्जो देंगे जिन्हें पिछली सरकार में मंत्री कोटे में जगह नहीं मिली।
मंत्रिमंडल का गणित तय, अब नंबरों का खेल
202 सीटों वाली एनडीए सरकार कुल 35 मंत्रियों को शामिल कर सकती है। इसमें मंत्रिपद का बंटवारा भी लगभग तय है — भाजपा को 15-16, जदयू को 14-15, लोजपा को 3-4, हम और रालोमो को 1-1 पद मिल सकते हैं। ऐसी अटकलें हैं कि नीतीश 6 विधायकों पर एक मंत्री का फार्मूला अपनाएंगे, जिससे सभी प्रमुख गठबंधन सहयोगियों को संतुलित हिस्सेदारी मिल सके।
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