प्रशांत किशोर का बड़ा बयान @ बिहार चुनाव में हार स्वीकार, फिर भी नहीं छोड़ेंगे संघर्ष का रास्ता
- व्यवस्था परिवर्तन का सपना फिलहाल धुंधला जरूर हुआ है, पर खत्म नहीं
Khabari Chiraiya Desk: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जन सुराज आंदोलन को भारी पराजय का सामना करना पड़ा। चुनाव से पहले बड़े-बड़े दावे करने वाले प्रशांत किशोर की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी, जिससे सोशल मीडिया पर उनकी जमकर आलोचना हो रही है। पहली बार नतीजों के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए पीके ने इस प्रदर्शन को “शर्मनाक” बताया और कहा कि यह पूरी तरह उनकी ही जिम्मेदारी है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीके ने कहा-हमारी मेहनत सच्ची थी, लेकिन परिणाम निराशाजनक रहे। जन सुराज का उद्देश्य सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं, व्यवस्था परिवर्तन था, लेकिन हम जनता को यह समझाने में असफल रहे। अगर जनता ने हमें विकल्प नहीं माना तो इसकी जिम्मेदारी मेरी है। मैं अपनी कमियों को स्वीकार करता हूं और उससे सीखकर आगे बढ़ूंगा।
उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने तीन साल तक बिहार के गांव-गांव जाकर जनता को एक नई राजनीतिक सोच के बारे में जागरूक करने की कोशिश की, लेकिन यह जन-मत बनकर सामने नहीं आया। मेरी सोच, मेरी रणनीति और जनता से संवाद में कहीं ना कहीं कमी थी। मैं इस हार से पीछे नहीं हटूंगा, बल्कि और दोगुनी मेहनत के साथ अपने उद्देश्य की ओर लौटूंगा।
हार को स्वीकारते हुए पीके ने घोषणा की कि वह 20 नवंबर को चंपारण के गांधी भितिहरवा आश्रम में एक दिन का मौन व्रत रखेंगे। उन्होंने इसे प्रायश्चित का हिस्सा बताया और कहा कि हमसे गलती हो सकती है, पर हमने कोई पाप नहीं किया। हमने लोगों की जाति, धर्म, जेब या भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं किया। हमने राजनीति को साफ रखने की कोशिश की।
प्रशांत किशोर ने अंत में कहा कि जन सुराज की राह लंबी है, लेकिन उनका हौसला अटूट है। चुनाव परिणाम से निराश होने की जगह वे अब और मजबूत इरादों के साथ बिहार की जनता के बीच जा रहे हैं। उनकी इस घोषणा से स्पष्ट है कि हार ने उनके कदमों की रफ्तार धीमी नहीं की, बल्कि इरादों को और कठोर किया है
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