पीएम मोदी बोले-संविधान ही बनाता है सपनों को सच
- प्रधानमंत्री ने कहा, साधारण परिवार से सबसे ऊंचे पद तक पहुंचना संविधान की शक्ति का उदाहरण है
Khabari Chiraiya Desk: संविधान दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के संविधान की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद भारत ने जिस लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपनाया, उसका सबसे बड़ा स्तंभ संविधान है। यही वह आधार है जिसने एक साधारण परिवार में जन्मे व्यक्ति को देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचने का अवसर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी पूरी सार्वजनिक जीवन यात्रा संविधान की शक्ति और उसके मार्गदर्शन का प्रत्यक्ष उदाहरण है।
प्रधानमंत्री ने अपने ब्लॉग में खास तौर पर उन युवाओं से संवाद किया, जो इस वर्ष 18 वर्ष के हो रहे हैं और पहली बार मतदान करने के पात्र बनेंगे। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि उन्हें सिर्फ छात्र या युवा नागरिक के रूप में नहीं, बल्कि नीति निर्माण की प्रक्रिया के महत्वपूर्ण सहभागी के रूप में पहचाना जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि देश भर के स्कूलों में हर वर्ष 26 नवंबर को प्रथम बार मताधिकार पाने वाले युवाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। उनके अनुसार यह परंपरा युवाओं के भीतर लोकतंत्र के प्रति कर्तव्य और गर्व दोनों को विकसित करेगी।
मोदी ने संविधान दिवस को एक राष्ट्रीय विरासत बताया और कहा कि यह दिन हर भारतीय के लिए गर्व का अवसर है। उन्होंने याद दिलाया कि 1949 में इसी तारीख को संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकार किया था और इसी ऐतिहासिक घटना के महत्व को उजागर करने के लिए 2015 से यह दिवस राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि 2014 में पहली बार संसद भवन में प्रवेश करते समय उन्होंने लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए भवन की सीढ़ियों पर सिर नवाया था। वहीं 2019 में चुनाव के बाद संसद के केंद्रीय कक्ष में संविधान को माथे से लगाना उनके जीवन के सबसे भावनात्मक क्षणों में से एक रहा।
उन्होंने संविधान निर्माण में योगदान देने वाली महान हस्तियों को भी श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद, बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर और संविधान सभा की महिला सदस्यों के योगदान को देश की अमूल्य धरोहर बताया। उन्होंने कहा कि संवैधानिक ढांचे को आधुनिक और व्यावहारिक बनाने में इन सभी महान व्यक्तियों की दूरदृष्टि की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
प्रधानमंत्री ने अपने ब्लॉग में गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए किए गए एक विशेष आयोजन का भी उल्लेख किया। उन्होंने याद किया कि वर्ष 2010 में संविधान के 60 वर्ष पूरे होने पर गुजरात में संविधान गौरव यात्रा निकाली गई थी, जिसका उद्देश्य लोगों में संविधान के प्रति सम्मान और जागरूकता फैलाना था। इस यात्रा में संविधान की प्रतिकृति को विशेष रूप से सुसज्जित हाथी पर स्थापित किया गया था, जिसे स्वयं प्रधानमंत्री ने आगे बढ़ाया था। उन्होंने कहा कि संविधान के 75 वर्ष पूरे होने पर देशभर में जो अभियान चलाए गए, वे जनभागीदारी का विशाल उत्सव साबित हुए।
उन्होंने वर्ष 2025 के संविधान दिवस को खास बताते हुए कहा कि यह वर्ष देश के कई महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और राष्ट्रनायकों का स्मरण कराता है। सरदार पटेल और भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती, वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ और गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत वर्षगांठ इस वर्ष को ऐतिहासिक आयाम देते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये अवसर देश को एक बार फिर उस ऐतिहासिक संघर्ष, त्याग और राष्ट्र-सेवा की भावना की ओर लौटाते हैं, जिन्होंने भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत किया।
संविधान दिवस पर प्रधानमंत्री का यह संदेश इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इसमें न केवल संविधान की महत्ता का स्मरण है, बल्कि देश के युवाओं को लोकतंत्र की निरंतर यात्रा में जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित करने का आह्वान भी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब युवा संविधान के मूल्यों को आत्मसात करेंगे, तब एक सशक्त और सक्षम भारत का निर्माण संभव होगा।
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