कर्नाटक में नेतृत्व को लेकर हलचल तेज
- सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार ने बेंगलुरु में बैठक के बाद नेतृत्व विवाद पर अटकलों को शांत करने की कोशिश
Khabari Chiraiya Desk : कर्नाटक की राजनीति शनिवार को उस वक्त फिर केंद्र में आ गई जब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने बेंगलुरु में एक साथ बैठकर मौजूदा नेतृत्व से जुड़ी अटकलों पर विराम लगाने की कोशिश की। पार्टी भीतर असंतोष और संभावित नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं के बीच दोनों नेताओं ने नाश्ते पर लगभग एक घंटे की मुलाकात की और बाद में मीडिया से बातचीत में भरोसा दिलाया कि कांग्रेस के भीतर किसी तरह की दरार नहीं है।
डीके शिवकुमार ने बैठक के बाद स्पष्ट कहा कि मुख्यमंत्री और उन्होंने मिलकर वही संदेश दिया है जो पार्टी के सभी विधायकों और पदाधिकारियों तक पहुंचाना था। उन्होंने कहा कि प्राथमिकताएं बहुत स्पष्ट हैं जिनमें सिंचाई शहरी विकास और कृषि से जुड़े कई गंभीर मसले शामिल हैं। शिवकुमार ने बताया कि वे जल्द ही दिल्ली जाएंगे ताकि केंद्र के मंत्रियों से इन मुद्दों पर औपचारिक चर्चा कर सकें। उनका कहना था कि यह एक तय प्रक्रिया है और बगैर अपॉइंटमेंट के दिल्ली जाना संभव नहीं है।
उन्होंने आगे बताया कि मुख्यमंत्री और वे एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को दिल्ली ले जाने की योजना बना रहे हैं ताकि गन्ना मक्का और अन्य फसलों से जुड़ी चुनौतियों और राज्य हित के मामलों पर संयुक्त आवाज उठाई जा सके। इस सिलसिले में सर्वदलीय बैठक बुलाने पर भी चर्चा हुई। शिवकुमार शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा के निवास भी पहुंचे जहां उनके निधन के 12वें महीने का अनुष्ठान था।
नेतृत्व बदलने की अटकले तब तेज हो गई थीं जब सिद्धारमैया सरकार ने अपना आधा कार्यकाल पूरा किया। कहा गया कि वरिष्ठ नेताओं के बीच हुए मौखिक समझौते के मुताबिक ढाई साल बाद सत्ता परिवर्तन होना चाहिए जबकि सिद्धारमैया अपने पूरे पांच वर्ष के कार्यकाल का दावा करते हुए जनता के भरोसे और पांच गारंटी योजनाओं की सफलता का हवाला देते रहे।
बैठक के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पार्टी नेतृत्व जो भी निर्देश देगा दोनों नेता उसी का पालन करेंगे। उन्होंने कहा कि अब किसी तरह का भ्रम नहीं रहना चाहिए और कांग्रेस की एकता मजबूत है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में हाईकमान से जल्द किसी निर्णायक बयान की उम्मीद की जा रही है। सिद्धारमैया और शिवकुमार दोनों ने दोहराया कि वे पार्टी के निर्णय को ही अंतिम मानेंगे और राज्य की स्थिरता तथा कांग्रेस संगठन को मजबूत बनाना उनकी पहली प्राथमिकता है।
कर्नाटक की सत्ता का अगला चेहरा कौन होगा यह फिलहाल पार्टी नेतृत्व के पत्ते खोलने का इंतजार कर रहा है लेकिन दोनों नेताओं की साझा उपस्थिति ने यह जरूर दिखा दिया है कि कांग्रेस सार्वजनिक तौर पर किसी भी आंतरिक मतभेद को बढ़ने देने के मूड में नहीं है।
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